उत्तराखंडः लाचार सरकार, हटाने के बाद भी सरकारी सुविधाएं ले रहे पूर्व दर्जाधारी, अब शासन को करना पड़ा आदेश
उत्तराखंड में सब अपने हिसाब से नियम बना रहे हैं और प्रदेश को चला रहे हैं। कोरोना के नियम राजनीतिक पार्टियों (खासकर सत्ताधारी दल) के कार्यक्रमों में हवा हो रहे हैं। वहीं, दो अप्रैल को हटाए गए सभी दर्जाधारियों पर भी सरकार का नियंत्रण नहीं रहा। यदि नियंत्रण होता तो मुख्य सचिव को उनसे सुविधाएं वापस लेने के आदेश देने नहीं पड़ते। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सका है कि उत्तराखंड में सरकार, शासन और प्रशासन का प्रदेश में किस तरह के नियंत्रण है।
दो अप्रैल को जारी किए गए थे आदेश
दो अप्रैल को मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश से दायित्वधारी भी हट चुके हैं। यूं तो जब सीएम का इस्तीफा हो जाता है, तो सारी कैबिनेट, राज्यमंत्री आदि सभी के विभाग स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। दोबारा से नए सीएम के साथ मंत्रि परीषद के सदस्य शपथ लेते हैं। फिर चाहे दर्जाधारी हों, वे स्वत ही पद से हट जाते हैं। इसके बावजूद पदों की लालसा के चलते दर्जाधारी पदों से चिपके हुए थे। हाल ही में 26 फरवरी को त्रिवेंद्र ने 17 लोगों को दर्जाधारी बनाया। इसके एक बाद बाद एक और को लालबत्ती दी गई। इससे पहले भी कई को दायित्व दिया गया था। ऐसे में करीब 120 दर्जाधारी (संवैधानिक पदों को छोड़कर) थे।
तब अपने आदेश में मुख्य सचिव ने कहा कि 18 मार्च, 2017 से वर्तमान तक विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों, इत्यादि में नामित व नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सलाहकार एवं अन्य पदों पर गैर सरकारी महानुभावों यथा मंत्रीस्तर, राज्यमंत्री स्तर, अन्य महानुभाव स्तर सदस्य तथा अन्य (संवैधानिक पदों पर निर्धारित अवधि हेतु नियुक्त महानुभाव को छोड़कर) को तात्कालिक प्रभाव से पदमुक्त किया जाता है।
नहीं छोड़ी सुविधाएं
दो अप्रैल को मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद दर्जाधारियों ने सरकारी सुविधाओं को मोह नहीं छोड़ा। पद से हटाए जाने के बाद भी वे सरकारी सुविधाओं को उपभोग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि पद से हटाए जाने के बाद उनकी ओर से ली गई सुविधाओं की क्या वसूली की जाएगी। सरकार और शासन का इन पर ठीक उसी तरह नियंत्रण नहीं है, जिस तरह कोरोना के नियम तोड़ रहे नेताओं पर नहीं है।
मुख्य सचिव ने जारी किए आदेश
मुख्यसचिव ओमप्रकाश ने आज आदेश जारी करते हुए सभी दर्जाधारियों से दो दिन के भीतर सुविधाएं वापस लेने को कहा है। हालांकि उसके बावजूद भी पूर्व दर्जाधारी सरकारी गाड़ी, कार्यालय और गनर सहित कई सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं। इसको लेकर शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। हटाए गए सभी दायित्वधारियों से 2 दिन के भीतर सभी सरकारी सेवाएं खत्म करने के आदेश दिए हैं। साथ ही मुख्य सचिव ने समस्त विभागों को इस संबंध में रिपोर्ट भेजने को कहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।