अष्टमी और नवमी आज, कीजिए महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा
इस बार 24 अक्टूबर यानी आज अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है। ऐसे में महागौरी और मांग सिद्धिदात्री की पूजा कीजिए। दुर्गा मां के इन दो स्वरूपों की विशेषता बता रहे हैं डॉ. आचार्य सुशांत राज।
नवरात्रि के आंठवे दिन अष्टमी के दिन मां महागौरी का पूजन किया जाता है। मां महागौरी के पूजन से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरुप में मां गौर वर्ण में हैं। इसलिए इन्हें गौरी की संज्ञा दी गई है। मां महागौरी को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है। इनकी पूजा वाले दिन साधक का मन सोम चक्र में स्थापित होता है। इनकी पूजा में भोग स्वरूप नारियल अर्पित करना चाहिए।
महागौरी
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है। दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कलुष धुल जाते हैं।
समस्त कार्यों में सिद्धि प्रदान करती है मां सिद्धिदात्री
नवरात्रि के समापन या नवमी तिथि वाले दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। मां सिद्धिदात्री समस्त कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। इनके पूजन से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इन्हीं की कृपा से ही शिव जी को समस्त सिद्धियां प्राप्त हुई थी। मां सिद्धिदात्री से ही शिव जी अर्द्धनारीश्वर कहलाए। ये शिव जी के बाएं अंग में विराजती हैं, जिसके कारण ही शिव जी को अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री को नारियल और खीर का भोग लगाना चाहिए।
सिद्धिदात्री
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति को सिद्धिदात्री कहते हैं। जैसा कि नाम से प्रकट है ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। इनकी उपासना के बाद भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। देवी के लिए बनाए नैवेद्य की थाली में भोग का सामान रखकर प्रार्थना करनी चाहिए।
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।