शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-चन्द्र कुंवर की याद में मेरी इच्छा
चन्द्र कुंवर की याद में मेरी इच्छा
जी सकूं इस संसार में जब तक।
महक बिखेरता चारों ओर मैं जाऊं
पतझड़ बन जाऊं अगर प्रकृति में तो,
फिर से नव प्रभात लेकर आऊं
सुख दुःख की कोंपल कलियां।
फिर नव जीवन में, तुम्हें बुलाऊं।।
है जरूरी सुख दुःख जीवन में।
मैं मानव मरण को ना बिसराऊं,
करो मिलकर प्रकृति प्रेम जीवन में।
मैं भीनी खुशबू यहां बिखराऊ।।
पा चुका अनन्त सुख जगत में।
अब मैं प्रभु में जा समाऊ।।
क्या तेरा क्या मेरा जगत में।
जिसका था मैं उसका हो जाऊं।।
जन्म मरण के भय को छोड़ छाड़,
प्रकृति की गोद में अब मैं सो जाऊं।।
फिर आऊंगा कलियां बनकर जगत में,
चाह, नवजीवन मैं फिर से पाऊं।
नहीं जीना बस बिना उनके,
मैं उनके गुंजन स्वरों में खो जाऊं।
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना