अप्रैल से खुल सकते हैं पांचवी तक के स्कूल, गृह परीक्षाओं के बगैर दूसरी कक्षा में प्रमोट हो सकते हैं 11 वीं तक के छात्र
उत्तराखंड में अगले शिक्षा सत्र के लिए पांचवी तक के स्कूल अप्रैल में खुल सकते हैं। वहीं, सरकार गृह परीक्षाओं से परहेज कर पहली से 11वीं के छात्रों को इस बार अगली कक्षा में प्रमोट कर सकती है। फिलहाल शिक्षा सचिव और शिक्षा मंत्री दोनों के इसे लेकर अलग अलग बयान आए हैं।
तीरथ सरकार अप्रैल से पहली से लेकर के पाँचवीं तक के बच्चों के स्कूल भी खोलने की तैयारी में है। इस बाबत मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा। सरकार की कोशिश ऑनलाइनऑफलाइन पढ़ाई को एक साथ जारी रखने की है। साथ ही फीस एक्ट भी लाने पर विचार चल रहा है।
कोरोना के कारण पिछले साल मार्च में सभी स्कूलों में पढ़ाई पहले बंद कर दी गई थी। बाद में ऑनलाइन शुरू किया गया था। हालात कुछ सुधरे तो पहले 10वीं-12वीं बोर्ड वालों की ऑनलाइन के साथ ही ऑफलाइन पढाई भी शुरू की गई। फिर 6 से ले के ऊपर की सभी कक्षाओं की पढ़ाई ऑफलाइन भी शुरू कर दी गई थी।
इसके बावजूद प्राईमरी कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ही रखी गई। ऑफलाइन पढ़ाने का जोखिम लेने से सरकार बचती रही है। कोरोना हालांकि बीच में काफी कम हो गया था। इसके चलते ये बात उठने लगी कि नर्सरी से पाँचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई सी अब ऑफलाइन की जा सकती है। ये बात दीगर है कि कोरोना के केस अचानक फिर से बढ़ रहे हैं।
सरकार अब दो अहम फैसले करने वाली है। सैद्धांतिक तौर पर पांचवीं तक के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल खोलने का फैसला किया गया है। इस संबंधी प्रस्ताव को मंत्रिमंडल में मंजूर कराने के बाद ही उससे संबन्धित आदेश जारी किया जाएगा। वेब न्यूज पोर्टल Newsspace में प्रकाशित खबर में सचिव माध्यमिक शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि पांचवी तक के स्कूल खोलने की राय बन चुकी है। बहुत संभव है कि केबिनट के अगली बैठक में इससे संबंधित आदेश हो जाएंगे।
शिक्षा सचिव ने फीस एक्ट पर भी कहा कि इस बाबत अंतिम फैसला कैबिनेट को करना है। सरकार इसके हक में है। मुख्यमंत्री से इस संबंध में निर्देश लिए जाने हैं। काबिलेगौर बात ये है कि फीस एक्ट को ले के स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों में तलवारें तनी हुई हैं। स्कूल प्रबंधन का तर्क है कि फीस पर अत्यधिक अंकुश रहने से 30 फीसदी स्कूल तालाबंदी का शिकार हो जाएंगे। उनके लिए अपने खर्च निकालना ही बहुत मुश्किल साबित होता रहा है। फीस वृद्धि पर भी रोक लगती है तो फिर शिक्षकों और कर्मचारियों की तनख्वाह में सालाना वृद्धि भी मुमकिन नहीं हो पाएगी।
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक कुछ ही बड़े स्कूल्स ऐसे हैं, जो अपना खर्च निकाल पा रहे हैं। बाकी भारी निवेश के बावजूद तकरीबन घाटे में हैं। दूसरी तरफ अभिभावकों और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की राय है कि फीस एक्ट ला के स्कूलों की मनमानी कीस और उसमें लगातार वृद्धि से रोका जाना जरूरी है। ये मुद्दा पिछले एक साल से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। संभावना है।
कक्षा एक से 11वीं तक विद्यार्थियों को किया जा सकता है प्रमोट
प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर 11वीं तक गृह परीक्षाओं को लेकर सरकार यू-टर्न ले सकती है। पहले गृह परीक्षाएं तय करने के बाद अब इन परीक्षाओं के स्थान पर छात्र-छात्राओं को कक्षोन्नति देने पर विचार प्रारंभ कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय के इस संबंध में निर्देश मिलने के बाद विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार गृह परीक्षाओं के संबंध में आदेश जारी कर चुकी है। आदेश के मुताबिक आगामी अप्रैल और मई के बीच में ये परीक्षाएं होंगी। इन्हें बोर्ड की 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं के साथ आयोजित कराया जाए या आगे-पीछे, इस संबंध में विभाग निर्णय ले सकेगा। गृह परीक्षाएं आयोजित करने के पीछे सरकार की मंशा ये थी कि कोरोना के चलते चालू शैक्षिक सत्र में पढ़ाई से वंचित रहे छात्र-छात्राओं को कक्षोन्नति देने के बजाय आफलाइन परीक्षा ली जाए। हालांकि, इस कवायद से शैक्षिक सत्र आगामी जुलाई माह तक खिसकने जा रहा है।
अब इस नीति में बदलाव होने जा रहा है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने नया सत्र जुलाई के बजाय 15 अप्रैल से शुरू करने के पक्ष में हैं। इस वजह से अब गृह परीक्षाओं के स्थान पर छात्र-छात्राओं को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षोन्नति देने की योजना पर विचार शुरू किया गया है। शिक्षा मंत्री का निर्देश मिलने के बाद शिक्षा निदेशक आर के कुंवर ने कहा कि गृह परीक्षाओं के संबंध में शासन ने आदेश जारी किया है। लिहाजा इन परीक्षाओं को नहीं कराने के बारे में फैसला शासन को ही लेना है। शिक्षा निदेशालय छात्र-छात्राओं को कक्षोन्नति देने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।