फटी जींस वाले बयान के विरोध में सीएम आवास तक पहुंचीं आप महिला कार्यकर्ता, किया प्रदर्शन

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के माफी मांगने के बावजूद फटी जींस को लेकर उनके बयान को राजनीतिक दलों ने हथियार बना लिया है। आम आदमी पार्टी की महिला कार्यकर्ता पुलिस की आंखो में धूल झोंककर आज सीएम आवास तक पहुंच गई। इस दौरान सीएम आवास के गेट के समक्ष शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर अपना विरोध जाहिर किया। इस दौरान कार्यकर्ता हाथों में पोस्टर लेकर खड़ी रहीं।
आज उत्तराखंड में आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया के नेतृत्व में आप कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। आप कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास के बाहर हाथों में बैनर पोस्टर लेकर खडे हुए और उन्होंने शांमिपूर्ण प्रदर्शन किया। आप प्रदेश प्रवक्ता उमा सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री का महिलाओं के कपडों पर टिप्पणी करना उनकी मानसिकता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने से मुख्यमंत्री अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि आज हमारे प्रदेश में स्वास्थय, शिक्षा, रोजगार जैसे अहम मुद्दों पर सरकार का बिलकुल ध्यान नहीं है। कई युवा आज रोजगार की तलाश में दर दर भटकने को मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ऐसे बयान देकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप कार्यकर्ता यहां पर उन सभी महिलाओं की आवाज बनकर खडे हैं और मुख्यमंत्री के अंदर अगर नैतिकता है तो उन्हें फौरन पूरे प्रदेश की महिलाओं से अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
प्रदर्शन में सतीश शर्मा, दीपक सैलवान, राजेश शर्मा, विपिन नेगी, आरती राणा, ममता सैलवान, सीमा कश्यप, रिंकी, वंदना, शिवानी गौड, प्रेरणा अरोडा, ज्योति भट्ट, शीतल अरोडा, रिधि अरोडा मौजूद थे।
ये दिया था बयान
16 मार्च को देहरादून में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सीएम तीरथ सिंह रावत ने महिलाओं के कपड़ों को लेकर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि आजकल युवा फटी जीन्स पहनकर चल रहे हैं, क्या ये सब सही है…ये कैसे संस्कार हैं। फटे कपड़े पहनना शान बन चुका है। अब फटी जीन्स पहनकर युवक-युवतियां फर्क महसूस करते हैं। फैशन की ओर युवाओं का झुकाव उन्हें अपनी संस्कृति से दूर कर रहा है। संस्कारवान बच्चे कभी नशे के चंगुल में नहीं फंसते और जीवन में कभी असफल भी नहीं होते। पश्चिमी सभ्यता के पीछे भागने की बजाय हमें अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों के लिए समय निकालना होगा।
इस दौरान उन्होंने आजकल युवाओं के फैशन के स्टाइल पर भी टिप्पणी की। कहा कि उन्हें आश्चर्य होता है जब युवाओं को फटे हुए कपड़े पहनकर घूमते देखते हैं। उन्होंने संबोधन के दौरान एक किस्सा भी सुनाया। जिसमें उन्होंने कहा कि एक बार वे एक जहाज में यात्रा कर रहे थे। तब उनके पास एक महिला दो बच्चों के साथ बैठी थी। उन्होंने देखा कि उसकी जीन्स जगह-जगह से फटी थी।
महिला ने उन्हें बताया कि वह दिल्ली जा रही है, उसके पति प्रोफेसर हैं और वह एक एनजीओ चलाती हैं। फिर मुझे हैरानी हुई कि पढ़े-लिखे लोग भी अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने इस बीच यह भी ताना मारा कि पहाड़ की युवतियां व युवक बड़े शहरों में कुछ समय बिताने के बाद जब लौटते हैं तो खुद को मुंबई का हीरो-हीरोइन समझने लगते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश भारतीय संस्कृति की महानता को समझ चुके हैं, इसलिए अब वह हमारी संस्कृति का अनुसरण कर रहे हैं, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि हमारे देश के युवा पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।