निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल शुरू, निकाली रैली, एटीएम हुए खाली

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फेडरेशन आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू ) के आह्वान पर आज 15 मार्च से दो दिन के लिए बैंक कर्मियों की हड़ताल शुरू हो गई है। इसके तहत बैंकों की नौ यूनियनें इस हड़ताल में शामिल हो रही हैं। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक इस हड़ताल से प्रभावित हैं। हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में है। इनमें ऐसे बैंक शामिल हैं, जहां सरकारी शेयर 51 से 90 फीसद तक है। वहीं अधिकांश एटीएम खाली हो गए हैं। तीन दिन पहले एटीएम में पैसे भरे गए थे। हालांकि निजी बैंक के एटीएम में पर्याप्त राशि है। इनकी संख्या कम है।
बैंकों की हड़ताल में अवार्ड स्टाफ (संदेशवाहक, सफाईकर्मी, रिकॉर्ड कीपर एवं सभी क्लेरिकल कैडर के कर्मचारी, सिक्युरिटी स्टाफ को छोड़कर) एवं स्केल-1 से लेकर स्केल – 5 तक के अधिकारी-यूनियनों के सभी अधिकारी हर बार की तरह इस बार भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि पूरे देश भर में करीब दस लाख कर्मचारी हड़ताल पर हैं। वहीं, उत्तराखंड में इनकी संख्या करीब दस हजार है।
निकाला जुलूस
यूएफबीयू के उत्तराखंड संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया कि सरकार की ओर से बैंकों के निजीकरण करने संबंधी फैसले का यूएफबीयू समूचे देश में विरोध कर रही है। हड़ताल के पहले दिन देहरादून में प्रातः 10.00 बजे सेंट्रल बैंक की एस्लेहाल शाखा से शहर में जुलूस निकाला गया। ये जुलूस एस्लेहाल से प्रारम्भ होकर गांधी पार्क, कुमार स्वीट शॉप से होते हुए घंटाघर से वापिस होकर इसी मार्ग से पुनः ऐस्लेहाल पहुंचकर समाप्त हुआ। इनमें कई कर्मचारी काली कमीज या जैकेट पहनकर जुलूस में शामिल हुए।
सभा में निजीकरण का किया विरोध
रैली के बाद एस्लेहाल में प्रदर्शन किया गया। उस दौरान सभा आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजीपतियों के हाथों में सौपने की साजिश की जा रही है। उन्होंने इसे आम जनता की गाढ़ी कमाई को निजी हाथों में लूटने देने की साजिश बताया। कहा कि विगत इतिहास में निजी बैंकों के डूबने से जनता की गाढ़ी कमाई पर पहले भी डाका डाला गया है। वहीं, सरकारी बैंकों ने पिछले छै वर्षों में औसतन डेढ़ से दो लाख करोड़ का ऑपरेटिंग लाभ कमाकर जनहितों के लिए सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ही पिछले केवल चार वर्षों में ही लगभग आठ लाख करोड़ का डूबत लोन बट्टे खाते में डालकर कॉरपोरेट घरानों का इसमें से अधिकांश हिस्सा माफ करने में लगा दिया है।
ये रहे प्रदर्शन में शामिल
प्रदर्शनकारियों में समदर्शी बड़थ्वाल, पीआर कुकरेती, राजन पुंडीर, सीके जोशी, टीपी शर्मा, वीके जोशी, टीएस पांगती, आरपी शर्मा, करण रावत, विनय शर्मा, एसएस रजवार, अनिल जैन, एलएम बडोनी, आर के गैरोला, डी एन उनियाल, कमल तोमर, डी एस तोमर, विकास संगारी, प्रवीण जॉली, राकेश चन्द्र उनियाल, नवीन नेगी, कुंदन रावत, एकता गुलाटी, दीपशिखा, वी के बहुगुणा, प्रवीण कुमार, नवीन कुमार, पुष्पा, इला शर्मा, कैलाश जुयाल, निशान्त शर्मा, आनन्द रावत, सौरभ पुंडीर, अनिल शर्मा, अभिलेख थापा शामिल रहे।
उत्तराखंड में एक दिन में दो हजार करोड़ का कारोबार होगा प्रभावित
हड़ताल के चलते एक दिन में उत्तराखंड में करीब दो हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। इसमें क्लियरिंग, एटीएम, डिपोडिट व ऋण संबधि कार्य हैं।
ये बैंक हैं बंद
1. State Bank of India,
2. Bank of Baroda
3. Punjab National Bank,
4. Canara Bank,
5. Union Bank of India,
6. Indian Bank
7. Indian Overseas Bank,
8. UCO Bank,
9. Bank of Maharashtra
10. Punjab and Sind Bank,
11.Central Bank Of India
12. Bank of India
ये यूनियन हैं शामिल
NCBE (workmen employees unions)
AIBEA (workmen employees unions)
BEFI (workmen employees unions)
NOBW (workmen employees unions)
INBEF (workmen employees unions)
AIBOC (officers unions)
AIBOA (officers unions)
NOBO (officers unions)
INBOC (officers unions)
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।