उत्तराखंडः आपरेशन डैमेज कंट्रोल में जुटे तीरथ, पलट रहे हैं पूर्व सीएम के फैसले, गैरसैंण और देवस्थानम बोर्ड में भी हो सकता है फैसला

सत्ता संभालने के बाद से ही उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब वर्ष 2022 के चुनाव के मद्देनजर आपरेशन डैमेज कंट्रोल लगे हैं। इसके तहत वे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले पलटने लगे हैं। उनकी पहली कैबिनेट में लिए गए दो महत्वपूर्ण फैसलों की हर तरफ तारीफ हो रही है। वहीं, अब लोगों की निगाह गैरसैंण के संबंध में पूर्व के विवादित फैसले और देवस्थानम बोर्ड को लेकर टिकी है। बोर्ड का पंडा समाज विरोध करता चला आ रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है।
महामारी एक्ट में दर्ज मुकदमों से राहत
मंत्रिपरीषद के सदस्यों के शपथ ग्रहण करने के बाद ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले कैबिनेट बैठक की। इसमें दो फैसले लिए। इनमें सबसे बड़ी राहत लॉकडाउन के दौरान महामारी एक्ट के तहत दर्ज सारे मुकदमें वापस लेने का फैसले से मिली है। क्योंकि अभी तक जितने भी लोगों के खिलाफ इस एक्ट में कार्रवाई की गई, उनमें अधिकतर आमजन हैं। धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग और पहुंचवालों के कभी न तो चालान हुए और न ही उनके खिलाफ कार्रवाई हुई। हां इतना जरूर है कि राजनीतिक कार्यक्रमों में भाजपा के कार्यक्रमों को पुलिस अनदेखा करती रही। वहीं, दूसरे दलों के लोगों पर मुकदमें दर्ज किए गए। हालांकि अभी भी पुलिस कोरोना के तहत चालान काट रही है। इस मुद्दे को लोकसाक्ष्य ने भी प्रमुखता से उठाया था। इसमें कहा गया था कि यदि कार्रवाई की जाए तो सभी के खिलाफ होनी चाहिए। चाहे वो कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो।
विकास प्राधिकरण
कैबीनेट में तय किया गया था कि 1996 से पहले लागू विकास प्राधिकरण की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी में कैबिनेट मंत्री अरविंद पाण्डेय और सुबोध उनियाल को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से समूचे उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के साथ ही अन्य इलाकों के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। जिला विकास प्राधिकरण का काफी समय से विरोध हो रहा था। अब कमेटी क्या रिपोर्ट देती है, ये आने वाला वक्त बताएगा।
हरिद्वार महाकुंभ
हरिद्वार महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को भी सीएम त्रिवेंद्र ने राहत दी है। उन्होंने यहां आने वालों को अब कोरोना टैस्ट रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया। इसके साथ ही शंकराचार्यों, आखाड़ों को मेला क्षेत्र में जमीन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। अभी तक महाकुंभ में मेला क्षेत्र कहीं नजर नहीं आ रहा है। सीएम के इस फैसले से कुंभ की भव्यता लौटने की उम्मीद है।
देवस्थानम बोर्ड
चार धामों के साथ ही उत्तराखंड के बड़े मंदिरों की व्यवस्था देवस्थानम बोर्ड के हवाले करने के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले से पूरे उत्तराखंड में पंडा समाज, तीर्थ पुरोहित उद्वेलित है। इसे लेकर चारों धामों में आंदोलन चल रहा है। वहीं, उत्तरकाशी के गंगोत्री में तो पंडा समाज ने बोर्ड का कार्यालय संचालित तक नहीं होने दिया। सीएम पद से त्रिवेंद्र को हटाए जाने पर उत्तरकाशी में पंडा समाजा ने आतिशबाजी भी की थी। अब सीएम तीरथ सिंह रावत इस मुद्दे पर भी पंडा समाज से बातचीत करने के पक्षधर हैं। एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चारधाम के तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज, हक हकूकधारियों को मैं वार्ता के लिए बुलाऊंगा। उनके बात करूंगा। जनभावनाओं के अनुरूप ही फैसला लिया जाएगा।
गैरसैंण मंडल
उत्तराखंड के चमोली जिले में भराड़ीसैंण स्थित ग्रीष्मकालीन विधानसभा के बजट सत्र में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को मंडल बनाने की घोषणा की थी। इसमें चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को शामिल करने का जिक्र किया गया था। इस फैसले का पूरे उत्तराखंड में विरोध होना शुरू हो गया था। अब माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले को भी सीएम पलट सकते हैं। इसके पुख्ता संकेत मिल रहे हैं।
अभी तक गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा व संस्कृति के आधार पर उत्तराखंड में दो मंडल गढ़वाल और कुमाऊं थे। नए मंडल में दोनों मंडल के जिलों को मिलाने से गढ़वाली और कुमाऊंनी लोगों को अपनी पहचान को भी खतरा महसूस होने लगा। कुमाऊं का अल्मोड़ा उत्तराखंड में सबसे पुराना पर्वतीय शहर है। वहीं, बागेश्वर की अपनी सांस्कृतिक पहचान है। वहां के कौसानी को मिनी स्विटजरलैंड कहा जाता है। दूसरी तरफ गढ़वाल के चमोली में बदरीनाथ धाम, औली, हेमकुंड साहिब पवित्र स्थल हैं। रुद्रप्रयाग जिले में विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम है।
इसे लेकर भी विरोध के उठते स्वर के बीच अब खबर आ रही है कि अल्मोड़ा और बागेश्वर को गैरसैंण मंडल में नहीं जोड़ा जाएगा। दोनों जिले नैनीताल कमिश्नरी का हिस्सा रहेंगे। इसकी तस्दीक करते हुए सांसद अजय टम्टा ने मीडिया को बताया कि वे सीएम तीरथ से मिले थे। इस पर सीएम ने उनके आग्रह पर जनभावनाओं के अनुरूप ही निर्णय लेने की बात कही है। सांसद की मानें तो तीरथ ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अल्मोड़ा व बागेश्वर फिलहाल नैनीताल कमिश्नरी का ही हिस्सा रहेंगे।
ये था राजनीतिक घटनाक्रम
गौरतलब है कि छह मार्च को केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। इसके बाद मंगलवार नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। आज ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले गए। बंशीधर भगत की जगह मदन कौशिक को उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वहीं, तीरथ के मंत्रिमंडल में 11 सदस्यों ने आज शपथ ली। इनमें आठ कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।