अमेरिका में छाए भारतीय मूल के अमेरिकी, इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन क्या बोले, पढ़िए…
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने प्रशासन में अनेक भारतीय-अमेरिकियों की तैनाती की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारतीय-अमेरिकी देश पर छा रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने प्रशासन में अनेक भारतीय-अमेरिकियों की तैनाती की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारतीय-अमेरिकी देश पर छा रहे हैं। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद 50 दिन से भी कम समय में जो बाइडेन ने कम से कम 55 भारतीय-अमेरिकियों को शीर्ष पदों पर नियुक्त किया है। इनमें NASA में उनके भाषण लेखक से लेकर सरकार के हर विभाग में तैनाती शामिल हैं।
हाल ही में पर्सीवरेन्स रोवर की मंगल ग्रह पर ऐतिहासिक लैंडिंग से जुड़े रहे NASA के विज्ञानियों के साथ वर्चुअल बातचीत के दौरान जो बाइडेन ने कहा कि- भारतीय मूल के अमेरिकी देश पर छा रहे हैं। आप (स्वाति मोहन), मेरी उपराष्ट्रपति (कमला हैरिस), मेरे स्पीच राइटर (विनय रेड्डी)।
NASA के मार्स 2020 मिशन के कंट्रोल ऑपरेशन, नेवीगेशन और गाइडेन्स का नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी विज्ञानी स्वाति मोहन कर रही हैं। 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले जो बाइडेन ने कम से कम 55 भारतीय-अमेरिकियों को प्रशासन में अहम पदों पर नियुक्ति देकर इतिहास रच डाला है। इनमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस शामिल नहीं हैं, क्योंकि वह निर्वाचित पद है। इस सूची में नीरा टंडन भी शामिल नहीं हैं, जिन्होंने एक ही दिन पहले प्रबंधन व बजट से जुड़े व्हाइट हाउस कार्यालय के निदेशक पद से नामांकन वापस ले लिया है।
इनमें लगभग आधी संख्या महिलाओं की है। इनमें से कई व्हाइट हाउस में ही तैनात हैं। अब तक ओबामा-बाइडेन प्रशासन (2009-2017) ने सबसे ज्यादा भारतीयों को नियुक्त करने का रिकॉर्ड कायम किया था। उसके बाद पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन भी पीछे नहीं रहा। उस दौरान पहली बार किसी भारतीय-अमेरिकी को कैबिनेट रैंक देकर और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में नियुक्त किया गया था।
जो बाइडेन प्रशासन ने पहले 50 दिनों में ही पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकियों की नियुक्तियां की हैं। पिछले ही सप्ताह डॉ विवेक मूर्ति ने अमेरिकी सर्जन जनरल के तौर पर सीनेट कमेटी के समक्ष टेस्टिफाई किया है, जबकि वनिता गुप्ता का डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस में एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के तौर पर कन्फर्मेशन हियरिंग भी तय है।
जाने-माने समाजसेवी तथा इन्डियास्पोरा के संस्थापक एम. रंगास्वामी ने समाचार एजेंसी PTI से कहा कि यह देखना बेहद प्रभावी है कि कितने भारतीय-अमेरिकी लोकसेवा के क्षेत्र में आ गए हैं। मुझे अपने समुदाय को तरक्की करते देखकर गर्व महसूस होता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।