शिक्षक माधव सिंह नेगी की गढ़वाली कविता-बेटियॉं
बेटियाँ
कुंपळौं तैं तुम खिलण द्यावा,
खुशबू बणी फैलण द्यावा।
बन्द करा अब यों कि हत्या,
जीवन जोत जगण द्यावा।।
जब कुटमुण्यूं तैं ही तोड़ी देला,
त फूल कख बटिक ल्हेल्या।
बेटी की हत्या करि की तुम,
नौंना कै दगड़ बिवेल्या।।
दुर्गा माँ की पूजा त तुम,
भक्ति भाव से उर्याणा छंयाँ।
कख हरची स्या भक्ति तेरी,
जो बेट्यों तैं गिराणा छंयाँ।।
लक्ष्मी तैं जीवन पौण द्यावा,
घौर आँगन सब चमकौण द्यावा।
बन्द करा अब तौंकी हत्या,
अब जीवन जोत जगौण द्यावा।।
नारा सभी लगौणा छिन कि,
बेटी बचावा, बेटी बचावा।
पर बेटों का दगड़ा मा,
बेटी तैं भी सम्मान दिलावा।।
जरा सा प्यार, जरा सा सम्मान,
चंद्दि सी कुंगळि बेटियाँ।
किलै कि शान्ति प्रिय,
अरु सुशील होन्दिन बेटियाँ ।।
चम्पा अरू चमेली जन,
घौर आँगन मैकौन्दी बेटियाँ।
हँसी-हँसी मा सब,
बोझ उठौन्दी बेटियाँ।।
घौर दगड़ी दफ्तर भी,
भलि करि चलौंदि बेटियाँ।
फिर भी तौं तैं ऐसास दिलौन्दा,
कि बोझ होन्दिन बेटियाँ।।
एक बार माँ तैं भी पूछि तैं,
क्या सच मा बोझ बेटियाँ?
तब माँ न समझाये,
कि कन ससुराल मिललो,
इलै माणि जान्दी बोझ बेटियाँ।।
या चिन्ता भि माँ बाप की,
नि मणेन्दी निराधार।
पर आज बेटों से बड़ा-2 पदों पर,
आसीन छिन बेटियाँ।।
झाँसी की राणी बणीक,
दुश्मनों पर टूट पड़ी जान्दी बेटियाँ।
मदर टेरेसा बणीक,
जी जान लगै देन्दी बेटियाँ।।
शिक्षा को स्हारू मिली तैं,
रेल, हवाई जहाज,
देश चलाणी छिन बेटियाँ।
सोच बदली द्या अब तुम,
बेटी बचावा, बेटी पढ़ावा ।।
कवि का परिचय
नाम-माधव सिंह नेगी
प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली, ब्लॉक जखोली, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
भौत सुंदर रचना??????