चमोली आपदाः रेस्क्यू जारी, 56 शव बरामद, लापता को लेकर 52 एफआईआर
उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम नवें दिन भी जारी है। अब टनल में फंसे लोगों के जीवित रहने की उम्मीद समाप्त होने लगी है। पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था व नीलेश आनन्द भरणे ने बताया कि चमोली में आयी प्राकृतिक आपदा में स्थानीय पुलिस, एसडीआरएफ, फायर सर्विस, एफएसएल रेस्क्यू, खोज, बचाव राहत एवं डीएनए सैम्पलिंग के कार्यों में लगी हुई है।
प्राकृतिक आपदा में लापता कुल 204 लोगों में से 56 (चमोली- 46, रूद्रप्रयाग- 07, पौड़ी गढ़वाल- 01, टिहरी गढ़वाल- 02) के शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किये जा चुके हैं। जिनमें से 29 लोगों की शिनाख्त हो गई है और 27 लोगों की शिनाख्त नहीं हो पायी है। लापता समस्त लोगों के सम्बन्ध में अब तक कोतवाली जोशीमठ में 52 एफआईआर पंजीकृत की जा चुकी है। इसके साथ ही जनपद चमोली के विभिन्न स्थानों से ही 22 मानव अंग भी बरामद किये गये हैं। बरामद सभी शवों एवं मानव अंगों का डीएनए सैम्पलिंग और संरक्षण के सभी मानदंडों का पालन कर सीएचसी जोशीमठ, जिला चिकित्सालय गोपेश्वर एवं सीएचसी कर्णप्रयाग में शिनाख्त के लिए रखा गया। अभी तक 56 परिजनों के DNA सैंपल शिनाख्त में सहायता के लिए गए हैं। शवों को नियमानुसार डिस्पोजल हेतु गठित कमेटी ने अभी तक 53 शवों एवं 20 मानव अंगों का पूरे धार्मिक रीति रिवाजों एवं सम्मान के साथ दाह संस्कार किया है।
लापरवाही आई थी सामने
उत्तराखंड में चमोली जिले में आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई थी। चार दिन तक एनटीपीसी की जिस टनल में लापता 35 मजदूरों की खोज का काम चल रहा था, इसे लेकर बड़ा खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार 10 फरवरी की रात पता चला कि जिस टनल में श्रमिक काम ही नहीं कर रहे थे, वहां चार दिन तक टनल साफ करने का काम चलता रहा। वहीं, मजूदूर इस टनल से करीब 12 मीटर नीचे दूसरी निर्माणाधीन टनल एसएफटी में काम कर रहे थे। ये टनल एसएफटी (सिल्ट फ्लशिंग टनल) गाद निकासी के लिए बनाई जा रही थी। करीब 560 मीटर लंबी एसएफटी टनल निर्माण के लिए अब तक 120 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी। अब इसी टनल में लापता को खोजने का काम चल रहा है।
सात फरवरी को आई थी आपदा
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
जुटे हैं इतने जवान
प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 100, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।