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December 23, 2024

पूर्व सीएम हरीश रावत ने आपदा के रेस्क्यू पर उठाए सवाल, उद्घाटन और लोकार्पण पर मुख्यमंत्री पर कसा तंज

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अब चमोली में आपदा प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए। साथ ही इस संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री के लोकार्पण और उद्घाटन के कार्यक्रमों पर भी तंज कसा।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अब चमोली में आपदा प्रबंधन को लेकर सवाल उठाए। साथ ही इस संकट की घड़ी में मुख्यमंत्री के लोकार्पण और उद्घाटन के कार्यक्रमों पर भी तंज कसा। उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया में जो पोस्ट डाली, उसमें आपदा से सबक लेकर आगे की रणनीति पर विचार करने का भी सुझाव दिया।
हरीश रावत ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाली कि मुख्यमंत्री जी, इस आपदा व रेस्क्यू ऑपरेशन में आप समस्त राज्य के नेता हैं। क्या आपके मन में यह सवाल नहीं उठ रहा है कि सारी आधुनिकतम तकनीक और केंद्रीय मदद उपलब्ध होने के बावजूद भी आज 4 दिन बाद भी हम टनल के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाये हैं! हम टनल में ऑक्सीजन पंप नहीं कर पाए हैं और दूसरे ऐसे उपाय नहीं कर पाये हैं जिससे टनल में फंसे हुये लोगों के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाय।
उन्होंने आगे लिखा कि-प्रभावित परिवारों व क्षेत्रों तक खाद्य सामग्री आदि पहुंचाने के लिए क्या किसी तकनीक की आवश्यकता है? जो दु:खी परिवार अपने प्रियजनों को खोजने के लिए आ रहे हैं, उनके आंसू पोछने का दायित्व भी तो हमारा ही है न। कोई सूचना तंत्र वहां विद्यमान नहीं है।
उन्होंने आगे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर तंज कसते हुए लिखा कि-आप शिलापट दर शिलापट का लोकार्पण कर रहे हैं। आपदा की इस घड़ी में हम बचाव कैसे कर रहे हैं, कैसा समन्वय रख रहे हैं। सूचना तंत्र हमारा कितना प्रभावी है। लोगों तक सहायता पहुंचाने में हम कितने तत्पर हैं। इसी से तो हमारी उत्तराखंड की पहचान मजबूत होगी।
हरीश रावत ने कहा कि-मैं इस तथ्य के बावजूद कि हमने ग्लेशियर के स्वभाव को समझने में चूक की। मैं इस आपदा के लिए किसी को दोष देने के बजाय आगे की तरफ देखना चाहूंगा और हम कोई गहरी सीख ले सकें। यह हम सबका सामूहिक कर्तव्य है। मुख्यमंत्री के नाते इस दिशा में भी आपको ही पहल करनी होगी। टनल में कार्यरत उपकरणों को लेकर अपने मन की आशंका मैंने तपोवन मे ही मुख्य सचिव को बता दी थी।
यहां आई थी आपका
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक ऋषिगंगा और धौलगंगा नदी में पानी का जलजला आने से रैणी गांव में ऋषिगंगा नदी पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का डैम धवस्त हो गया था। इसने भारी तबाही मचाई और पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित धौलीगंगा नदी में एनटीपीसी के बांध को भी चपेट में ले लिया था।
इससे भारी तबाही मची। घटना रविवार सात फरवरी की सुबह करीब दस बजे की थी। इससे अलकनंदा नदी में भी पानी बढ़ गया था। तब प्रशासन ने नदी तटों को खाली कराने के बाद ही श्रीनगर बैराज से पानी कंट्रोल कर लिया। वहीं, टिहरी डाम से भी आगे पानी को बंद कर दिया था। इससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। आपदा से कई छोटे पुल ध्वस्त हो गए। 13 गांवों का आपस में संपर्क कट गया।
चमोली उत्तराखंड के चमोली में आपदा में लापता लोगों की तलाश का काम पांचवे दिन भी जारी है। अब तक कुल 34 शव बरामद कर लिए गए हैं। वहीं, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से बताया जा रहा है कि आपदा में कुल 204 लोग लापता हुए थे। इनमें 34 शव बरामद कर लिए गए हैं। 10 की शिनाख्त की जा चुकी है। 24 शवों की शिनाख्त बाकी है। अभी 170 लोग लापता हैं।
एनटीपीसी की जिस टनल में चार दिन तक काम चला, उसके 180 मीटर दूर टी-प्वाइंट व्यक्तियों के फंसे होने की संभावना जताई गई। इसके चलते ही टनल को साफ करने का काम लगातार चलता रहा। ये टनल करीब 250 मीटर लंबी है। इसमें 130 मीटर तक मलबा हटाया जा चुका था। अब ये बात सामने आ रही है कि जब आपदा आई, उस दिन वहां काम नहीं चल रहा था। इसके ठीक करीब 12 मीटर नीचे दूसरी टनल पर मजदूर काम कर रहे थे। ये टनल करीब 560 बनाई जानी है। इसमें अब तक 120 मीटर की खुदाई हो चुकी थी। इसमें लोगों के फंसे होने की संभावना के चलते अब रेसक्यू के लिए प्रशासन को रणनीति बदलनी पड़ रही है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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