जो बात पार्टी में होनी चाहिए, उसी को सार्वजनिक कर रहे हरीश रावत, बनाई भाजपा को शिकस्त देने की ये रणनीति
उत्तराखंड कांग्रेस में काफी कुछ अजीब घट रहा है। आपस में बातचीत करके रणनीति तय करने की बजाय पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया वार में मशगूल हैं। वहीं, उनके आगामी चुनाव में चेहरा घोषित करने की मांग पर अपनी ही पार्टी के लोग उनकी काट करने से पीछे नहीं हैं। जो काम पार्टी के भीतर होने चाहिए, वो सार्वजनिक रूप से हो रहे हैं। इसका शायद ही हल निकले, हां ये जरूर है कि इसे लेकर मीडिया को मसाला जरूर मिल जाता है। साथ ही विपक्ष को हमले करने का मौका।
सोशल मीडिया में सक्रिय रहने के साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अकेले ही अपने कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इस दौरान वह गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक के भ्रमण कार्यक्रम लगा रहे हैं। पिछले पांच दिनों से कुमाऊं भ्रमण के दौरान उनकी सोशल मीडिया में कई वीडियो जारी हुई। इनमें उनका पिथौरागढ़ सहित विभिन्न स्थानों पर जोरदार स्वागत भी हुआ। उन्हें फूल मालाओं से लादा गया। वहीं, वह पिछली हारों का आंकलन करने के साथ ही आगामी चुनाव की रणनीति तो बना रहे हैं, लेकिन सभी रणनीति को सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं।
इतिहास बताता है कि किसी युद्ध के लिए रणनीति गोपनीय तरीके से बनाई जाती है। ताकी लड़ाई के वक्त दुश्मन को उसकी चाल का पता न हो। यहां इसके उलट कांग्रेस चल रही है। या यूं कहें कि हरीश रावत चल रहे हैं। जो सुझाव उन्हें पार्टी आला कमान, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी को देने चाहिए, वो सोशल मीडिया में दे रहे हैं। इसका समर्थकों को तो फायदा हो सकता है, लेकिन पार्टी में उसे कितना गंभीरता से लिया जाएगा, इसका पता शायद उन्हें ही होगा।
पिछले एक डेढ़ माह से वह चुनाव के लिए पार्टी में चेहरा घोषित करने की मांग को लेकर कई पोस्ट कर चुके हैं। उनकी इस मांग के खिलाफ कांग्रेस नेत्री एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश बयान तक दे चुकी है। अब कुमाऊं के दौरे के दौरान उनकी एक पोस्ट और आई। इसमें उन्होंने अलग तरीके से रणनीति बनाकर भाजपा को मात देने की योजना को सार्वजनिक किया है। उनकी सोशल मीडिया में डाली गई पोस्ट इस प्रकार है-
अपने लगभग 5 दिन के इस भ्रमण के दौरान जनभावना को देखकर मुझे लगा कि यदि हम चुनावों में श्री मोदी फैक्टर को मिनिमाइज करने में सफल हो जाएं, उस असर को बहुत सीमा तक घटाने में सफल हो जाएं तो कांग्रेस की जीत सुनिश्चित है। क्योंकि स्थानीय चेहरा बनाम स्थानीय चेहरे में कांग्रेसनित चेहरा जनता को प्रिय लग रहा है। बल्कि मैं एक कदम आगे बढ़कर के कहना चाहता हूं कि श्री मोदी फैक्टर को न्यूनतम् प्रभाव तक सीमित करने के लिये आवश्यक है कि हम राज्य के अंदर कुछ और चेहरों को जिला स्तर या 2 जिले, इस तरीके की चुनावी जिम्मेदारी सौंपकर उन चेहरों को चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाएं।
उन्होंने आगे लिखा कि ऐसा करने से- मोदी फैक्टर वाली भाजपा की रणनीति पूरे तरीके से ध्वस्त हो सकती है। क्योंकि श्री मोदी फैक्टर में भाजपा का संगठनात्मक फैक्ट्रर और धन फैक्टर, दोनों बहुत प्रभावी अस्त्र बन जा रहे हैं। उसके मुकाबले के लिये हमारी रणनीति भी ऐसी होनी चाहिये जो भाजपा की चुनावी रणनीति की काट बने या उसको उलझा करके उसके प्रभाव को कम करे।
हरीश रावत ने आगे लिखा कि- इस बहस में कुछ बहुत रचनात्मक बिंदु भी सामने आये हैं और कुछ हमारे दोस्तों ने अपने-अपने ढंग से विश्लेषण भी किया है। भाजपा में भी इस बात पर चर्चा प्रारंभ होने के बाद कुछ बेचैनी दिखाई दे रही है। क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी वहीं सलाह दोहराई है मेरे लिये, जो मेरे कई और मित्र भी मुझे दे रहे हैं कि मैं अब उम्र दराज हो गया हूँ। मुझे आराम की आवश्यकता है। और भाजपा के प्रवक्तागण भी अब मुझसे सवाल कर रहे हैं कि यदि विकास ही किया था, तो फिर चुनाव क्यों हार गये?
उन्होंने कहा कि- खैर मैं इस समय उनके इन बयानों का आनंद ले रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि मेरा मुख्यमंत्री के चेहरे वाला तीर, सही जगह पर लग रहा है और भाजपा में इस बात को लेकर कुछ व्यग्रता पैदा हो गई है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।