उत्तराखंड में सीपीएम ने राज्य निर्वाचन विभाग से की एसआईआर की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग
उत्तराखंड में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने राज्य निर्वाचन विभाग से मांग की है वह राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को मद्देनजर राज्य में एसआईआर प्रक्रिया का सरलीकरण करे। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा समय चुनाव आयोग ले। पार्टी ने सभी इकाईयों को निर्देश दिये हैं कि वह हरसम्भव अपने अपने क्षेत्रों की मतदाता सूची पुनर्निरीक्षण के लिए दो बूथ लेबल एजेंट नियुक्त करे। ताकि इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून स्थित गांधी ग्राम में पार्टी के राज्य कार्यालय में हुई सीपीएम की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि हमारी पार्टी का मानना है कि जो काम एक रूटीन, पारदर्शी और जनहित में होना चाहिए था। देशभर के कई राज्यों का अनुभव बताता है कि एक जटिल प्रक्रिया बन गई है। इससे मतदाता सूची की निष्पक्षता और उन लोगों की सुरक्षा को खतरा है जो लोग इस काम लगे हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा है कि यह पूरा काम बहुत जल्दबाजी में और कमजोर प्लान के साथ किया जा रहा है। बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को डोर-टू-डोर वेरिफिकेशन पूरा करने के लिए सीमित समय इस जल्दबाजी की वजह से कई जगहों पर शिकायतें आई हैं कि BLOs कुछ पार्टी ऑफिसों में डेरा डाले हुए हैं और वोटरों से उनके पास आने के लिए कह रहे हैं। इन सबसे बड़े पैमाने पर अवश्य ही लोग बाहर हो जाएंगे और गलतियां होंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा है कि अन्य राज्यों का अनुभव बताता है BLOs पर जो बहुत ज़्यादा दबाव पड़ा है। उससे पहले ही कई लोगों की जान जा चुकी है। वह बिना किसी आराम या सुरक्षा के बहुत ज़्यादा बोझ तले काम कर रहे हैं। ये कोई अचानक हुई मौतें नहीं हैं। ये एक गैर ज़िम्मेदार और अमानवीय प्रशासनिक प्रक्रिया का सीधे नतीजे का परिणाम है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कहा गया कि यह पता चला है कि इलेक्शन कमीशन अपना खुद का डुप्लीकेट वोटर डिटेक्शन सॉफ्टवेयर इस्तेमाल नहीं कर रहा है। ये खास तौर पर एक्यूरेसी पक्का करने और मैनुअल बोझ कम करने के लिए बनाया गया एक टूल है। इससे मौजूदा बदलाव के पीछे के असली इरादे और मकसद को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं। यह इस बात से और भी बढ़ जाता है कि BLO और आम वोटर जो फॉर्म अपलोड करना चाहते हैं, उन्हें इंटरनेट कनेक्टिविटी, अस्थिर सर्वर और बार-बार टेक्निकल खराबी की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों के लिए खासकर पिछड़े तबकों और ग्रामीण इलाकों में एक आसान सा फॉर्म अपलोड करना एक मुश्किल काम बन गया है। इससे वोटर बनने में नई रुकावटें आ रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में उठाई गई ये मांग
1- भौगोलिक परिस्थितियों को मद्देनजर राज्य के लिए एसआईआर प्रक्रिया के लिए कम से कम तीन माह का समय लिया जाए।
2- मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को एसआईआर प्रक्रिया में सक्रिय भागेदारी के लिए वर्ष 2003 की मतदाता सूची, बूथ लिस्ट वर्तमान अपडेटेड मतदाता सूची एवं बूथ लिस्ट की प्रतियां उपलब्ध करवाई जाए।
3- राज्य की भौगोलिक संरचना तथा आबादी की विविधता को मद्देनजर एस आई आर प्रक्रिया में मांगे गए दस्तावेजों में लचीलापन अपनाया जाए। राज्य निर्वाचन कार्यालय हर सम्भव प्रयास करे कि यदि कोई नागरिक जो राज्य की सीमा में रह रहा है वह मताधिकार के अधिकार से वंचित न हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में पार्टी की केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजेन्द्र सिंह नेगी, राज्य सचिव राजेन्द्र पुरोहित, सचिव मंडल की सदस्य इन्दु नौडियाल, भूपालसिंह रावत, देहरादून सचिव लेखराज, नितिन मलेठा, अनन्त आकाश, माला गुरूंग आदि ने विचार व्यक्त किए। बैठक की अध्यक्षता शिवप्रसाद देवली ने की।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



