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September 28, 2025

नासा के उपग्रह ने धरती में खोजा हरा और नीला चमकता हुआ समुद्र, जानिए इस खोज के बारे में

दुनिया भर के वैज्ञानिक धरती और आसमान के साथ ही ब्रह्मांड में विभिन्न खोजों में जुटे रहते हैं। ऐसी खोज में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी यानि कि नैशनल एरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानि नासा (NASA) लगातार जुटी रहती है। साथ ही वह कई रहस्यों को उजागर करती है। अब नासा के उपग्रह ने धरती पर कुछ ऐसा खोजा, जिससे वैज्ञानिक हैरान हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष से देखा फाइटोप्लांकटन
नासा के उपग्रह ने ऐसा चमकता हुए हरा और नीला समुद्र देखा है, जिसने वैज्ञानिकों की उत्सुकता को बढ़ा दिया है। ये चमकदार समुद्र ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण तट पर नजर आया। ऐसे समुद्र को फाइटोप्लांकटन कहा जाता है, जो ग्रेट ऑस्ट्रेलियन बाइट और तस्मानिया समुद्र के बीच है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फाइटोप्लांकटन के बारे में
फाइटोप्लांकटन को हिंदी में पादप प्लवक या पादपप्लवक कहते हैं। यह प्रकाश संश्लेषण (विभिन्न भागों को जोड़कर कुछ नया बनाना) करने वाले सूक्ष्म जीव होते हैं, जो समुद्रों और मीठे पानी में पाए जाते हैं। ये असल में जलीय खाद्य जालों का आधार होते हैं। ये सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ऑक्सीजन और कार्बोहाइड्रेट में बदलते हैं। इससे पृथ्वी के ऑक्सीजन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस बार अंतरिक्ष से इन फाइटोप्लांकटन देखा गया। नासा के पेस स्पेसक्राफ्ट ने पहली बार इन्हें देखा। तस्मानिया सागर और ऑस्ट्रेलिया की मुख्य भूमि के बीच अंतरिक्ष से कुछ चमकता हुआ नजर आया। वैज्ञानिकों ने इस चमक को देखने और रिकॉर्ड करने के लिए खास ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल किया, जो समुद्र के रिफ्लेक्शन को बेहतर ढंग से रिकॉर्ड कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पहले भी देखे गए हैं फाइटोप्लांकटन
यह पहली बार नहीं है जब फाइटोप्लांकटन अंतरिक्ष से देखा गया है। इससे पहले साल 2023 और 2024 में भी ऐसा देखा जा चुका है। लगातार इस तरह की घटना को देखते हुए वैज्ञानिकों के लिए समुद्री जीवन और इस चमक के पैटर्न को समझने में आसानी होती है। वे यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर मौसम के हिसाब से इसमें कैसा बदलाव होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फाइटोप्लांकटन का स्वरूप
समुद्र में मौजूद फाइटोप्लांकटन में क्लोरोफिल होता है। इससे फिरोजी रंग की चमक निकलती है। यह प्रकाश संश्लेषण के लिए बहुत जरूरी है। इस वजह से ये छोटे जीव समुद्र की ऊपरी सतह पर पनपने लगते हैं। जैसे समुद्री जीवन खराब होता है इससे नाइट्रोजन और फास्फोरस निकलने लगता है। फाइटोप्लांकटन इसे सूर्य की रोशन की मदद से सोख लेता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसे अंतरिक्ष से भी कैसे देखा जा सकता है। तो इसका जवाब है कि ये फाइटोप्लांकटन 500 फुट तक गहरे और काफी दूर तक फैले हो सकते हैं। हरे फिलामेंट्स के साथ ही नीले रंग की रोशनी भी इसमें देखी गई है। फाइटोप्लांकटन समुद्री आहार श्रृंखला का अहम हिस्सा होते हैं. यह समुद्र के कई जीवों को भोजन मुहैया कराने में मदद करते हैं। इससे समुद्र तट पर कई तरह की प्रजातियां आकर्षित हो सकती हैं। इसमें सालाना 80 ब्लू व्हेल्स शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समुद्री भोजन खाने वालों की ले सकते हैं जान
फाइटोप्लांकटन जलीय खाद्य जाल का आधार हैं। प्राथमिक उत्पादक हैं, जो सूक्ष्म, जंतु-सदृश ज़ूप्लांकटन से लेकर बहु-टन वज़नी व्हेल तक, सबका पोषण करते हैं। छोटी मछलियाँ और अकशेरुकी भी इन पौधों जैसे जीवों को चरते हैं। फिर उन छोटे जीवों को बड़े जीव खा जाते हैं। फाइटोप्लांकटन मृत्यु या बीमारी का भी अग्रदूत हो सकता है। फाइटोप्लांकटन की कुछ प्रजातियाँ शक्तिशाली जैवविष उत्पन्न करती हैं, जो उन्हें तथाकथित “लाल ज्वार” या हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन के लिए ज़िम्मेदार बनाती हैं। ये विषैले प्रस्फुटन समुद्री जीवन और दूषित समुद्री भोजन खाने वाले लोगों की जान ले सकते हैं।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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