निजी कॉलेज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने की नवनियुक्त कुलपति से मुलाकात, कई मुद्दों पर हुई बात
उत्तराखंड में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति से निजी कॉलेज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कॉलेजों एवं छात्रों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रकाश सिंह को गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न कॉलेजों एवं छात्रों की समस्याओं से प्रतिनिधिमंडल ने अवगत कराया। साथ ही उनके समाधान के सुझाव भी दिए। वार्ता की जानकारी निजी कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रकाश सिंह को गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबंधित विभिन्न मुद्दों, कॉलेजों एवं छात्रों के समक्ष दिन प्रतिदिन प्रस्तुत होने वाली समस्याओं से अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबंध सभी कॉलेज गढ़वाल विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के पूर्व से संबद्ध हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार इन कॉलेजों को संबद्धता मिली हुई है। इसलिए इन कॉलेजों को स्थाई संबद्धता होनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों का कहना था कि कॉलेजों की संबद्धता विस्तारण की प्रक्रिया समय से प्रारंभ होनी चाहिए। क्योंकि संबद्धता विस्तारण समय से न होने के कारण कॉलेजों के छात्रों को छात्रवृत्ति की समस्या आती है। अभी पिछले कुछ वर्षों से संबद्धता विस्तारण समय से न होने के कारण छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई है। उन्हें अवगत कराया गया कि गढ़वाल क्षेत्र की विषम परिस्थितियों के कारण छात्र सीयूटी की परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में सीयूटी की परीक्षा के उपरांत जो सीटें खाली रह जाती हैं, उन पर मेरिट के आधार पर सीधे प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी तरह से बीएड में प्रवेश परीक्षा के उपरांत जो सीटें खाली रहती हैं, उसमें एनसीटीई के नियमानुसार मेरिट के आधार पर प्रवेश की अनुमति होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बीएड में एससी एसटी कैटिगरी की सीटें छात्रों की कमी के कारण रिक्त रह जाती हैं। उनमें समुचित प्रक्रिया के उपरांत जनरल छात्रों से भरने की अनुमति मिलनी चाहिए। बीएड प्रवेश में सीटों में साइंस और आर्ट कैटिगरी की बाध्यता समाप्त की जानी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यह भी मांग की गई कि कॉलेजों की प्रयोगात्मक परीक्षाओं में स्थानीय कॉलेजों के प्रोफेसरों को वरीयता दी जानी चाहिए। कुलपति को अवगत कराया कि छात्रों की अंक तालिकाओं में छोटी-छोटी त्रुटियां के लिए भी विश्वविद्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं, उसके लिए समुचित व्यवस्था की जाए। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार किया जाए। इससे छात्रों को अनुचित समस्याओं का सामना न करना पड़े। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अवगत कराया कि कुछ प्रकरण हैं कि छात्रों की परीक्षाएं होने के बावजूद उनके परिणाम घोषित नहीं किए गए। पूरी परीक्षाएं देने के बाद भी कुछ छात्रों को कुछ पेपर में अनुपस्थित दर्शाया गया है। इसके कारण छात्रों के भविष्य पर प्रभाव पड़ता है। डॉ अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों का रवैया छात्रों के प्रति सहयोगात्मक नहीं है। इसके कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बताया गया कि कुलपति ने कहा कि वह सभी विषयों को समझ कर सकारात्मक दृष्टिकोण से निर्णय करेंगे। विश्वविद्यालय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करते हुए छात्र हित के अनुरूप नीतियां बनाने की ओर अग्रसर रहेगा। कुलपति से मुलाकात पर डॉ सुनील अग्रवाल और डॉक्टर हरेंद्र सिंह रावत ने विश्वास जताया कि डॉक्टर प्रकाश सिंह के सकारात्मक दृष्टिकोण से विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रहेगा। साथ ही विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर सुधार देखने को मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ सुनील अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ समय से विश्वविद्यालय में निर्णय लेने की क्षमता का अभाव था, लेकिन अब डॉक्टर प्रकाश सिंह के कार्यभार संभालने से पूर्ण विश्वास है कि विश्वविद्यालय छात्र हित में सकारात्मक निर्णय लेते हुए विश्वविद्यालय की गरिमा को बहाल करने में सक्षम रहेगा। डॉ अग्रवाल ने सुझाव दिया की विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए संबद्ध कॉलेजों के साथ एक मीटिंग रखी जाए। इसमें विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जा सके। वार्ता में कुलपति के साथ विश्वविद्यालय के कुल सचिव राकेश डोड़ी एवं संगठन की ओर से डॉक्टर हरेंद्र सिंह रावत भी उपस्थित रहे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




