ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में व्याख्यान, भविष्य की ऊर्जा है समुद्री शैवालः डॉ. सौरीश भट्टाचार्य

सेंट्रल सॉल्ट एंड मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट डा. सौरीश भट्टाचार्य ने कहा कि समुद्री माइक्रो शैवाल न केवल अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड के उपयोग में मददगार है, बल्कि भविष्य की सतत ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत भी बन सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सौरीश भट्टाचार्य आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग में सस्टेनेबल बायोफ्यूल फ्रॉम मरीन माइक्रो एल्गी, विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का हिस्सा रहे। उन्होंने माइक्रोएल्गी की आउटडोर मास कल्टीवेशन तकनीक, कार्बन उत्सर्जन के प्रबंधन और विकसित माइक्रोएल्गल बायोडीजल उत्पादन पद्धति पर विस्तार से चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सौरीश ने शैवाल की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माइक्रोएल्गी कल्टीवेशन टेक्नोलॉजी, बायोफ्यूल उत्पादन और प्राकृतिक रूप से तैरने वाले शैवाल सतत ऊर्जा विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर आउटडोर मास कल्टीवेशन से न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सकेगा। कार्यक्रम में पर्यावरण विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डा. प्रतिभा नैथानी के साथ व्याख्यान में डा. प्रदीप कुमार शर्मा, डा. अर्चना बछेती, डा. सुमन नैथानी मौजूद रहे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।