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September 10, 2025

हिन्दी फीचर फ़िल्म ‘टिंचरी माईः द अनटोल्ड स्टोरी’ का ट्रेलर तथा पोस्टर लांच, देखें वीडियो, जानिए फिल्म के बारे में

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एनएन प्रोडक्शन से निर्मित हिन्दी फीचर फ़िल्म ‘टिंचरी माईः द अनटोल्ड स्टोरी’ का ट्रेलर तथा पोस्टर लांच किया गया। समारोह देहरादून के प्रिंस चौक स्थित सिद्धार्थ होटल में आयोजित किया गया। इस फिल्म का निर्माण एनएन प्रोडक्शन की ओर से किया जा रहा है। टिंचरी माई की कहानी सच्ची है। ये कहानी उस महिला की है, जो नशे के खिलाफ लोगों को जागरूक करती है। साथ ही फ़िल्म समाज की पितृसत्तात्मक बुनावट, स्त्री सशक्तीकरण और सामाजिक बदलाव जैसे सवालों को उठाती है। फिल्म की रिलीज डेट पांच दिसंबर 2025 है, जो देशभर में करीब 150 स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाएगी।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अति विशिष्ट अतिथि एवं बीएसपीएस के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रवीर गायत्री, चमोली से अध्यक्ष पुष्कर नेगी, बीएसपीएल के गढ़वाल प्रभारी नवल खाली, एसपी दुबे, गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, पंडित उदयशंकर भट्ट, पत्रकार शैलेन्द्र सेमवाल, तोताराम ढौंडियाल जिज्ञासु, निर्माता नवीन नौटियाल, इंजी. महेश गुप्ता, लोकेश नवानी और निर्देशक दिनेश उनियाल ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर नवीन नौटियाल ने फिल्म निर्माण के सपने के बारे में श्रोताओं को बताया। धाद संस्था के संस्थापक लोकेश नवानी ने बताया कि यह फिल्म टिंचरी माई की कहानी से प्रेरित है, लेकिन इसका कथानक नया और समकालीन है। चन्द्रवीर गायत्री ने लोगों से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में देखें और उत्तराखंड की कहानियों को प्रमोट करें। कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी सुशील पुरोहित ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देखें फिल्म का ट्रैलर

फिल्म के बारे में
यह फ़िल्म उत्तराखंड की सुप्रसिद्ध जोगन और सामाजिक आन्दोलनकारी टिंचरी माई के जीवन से प्रेरित है। उनके संघर्ष, त्याग, दुःख, हिम्मत, जुझारूपन और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई की कहानी को आधार बनाकर लिखी गई है। फ़िल्म का कथानक नया और समकालीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मेघा माथुर दिल्ली की एक आधुनिक युवा, एक टीवी चैनल की पत्रकार हैं। चैनल द्वारा उसे असाधारण काम करने वाली अनजान महिलाओं को खोजकर उन पर आलेख तैयार करने का निर्देश मिला है। उसे टिंचरी माई का नाम सुझाया गया है। इसमें खास रुचि न होते हुए भी वह उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में जाती है। उसे टिंचरी माई के अनेक दुःखभरे किस्सों व साहस भरे संघर्षों की कहानियां सुनने को मिलते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टिंचरी माई
टिंचरी माई यानी ठगुली देवी का जन्म पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण ब्लॉक के मंज्यूर गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। 13 साल की उम्र में उनका विवाह उनसे 11 साल बड़े गवांणी गांव के गणेशराम नवानी से हो गया। फौजी गणेशराम उन्हें अपने साथ क्वेटा ले गए। वे द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीद हो गए, वह अकेली रह गई। वे अपने दो बच्चों को लेकर गांव लौटीं तो कुछ समय बाद हैजे से उनके दोनों बच्चों की मृत्यु हो गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

परिवार और समाज ने न केवल उनका तिरस्कार किया, बल्कि इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने घर त्याग दिया। उस समय के पिछड़े हुए क्षेत्र कोटद्वार भाबर में आकर वह जोगन बन गईं। अब उनके जीवन की नई लड़ाई समाजिक सरोकारों के रूप में शुरू हुई। टिंचरी माई ने स्वयं शिक्षित न होते हुए भी समाज में अशिक्षा को दूर करने के लिए मोटाढाक कोटद्वार में स्कूल खोला। सिगड्डी गांव में पीने के पानी की लड़ाई लड़ी और टिंचरी जैसी बुराई के खिलाफ़ एक सामाजिक आन्दोलन चलाया। उन्होंने टिंचरी बेचने वाले व्यापारी की दुकान को आग लगा दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टिंचरी माई को जानने के लिए मेघा का शोध उसे हर दिन नई सच्चाइयों से रूबरू कराता है, तो वह उसमें और गहरे उतरती है। उसे लगता है कि यह सब तो आज भी हो रहा है और टिंचरी माई की लड़ाई आज भी लड़ी जा रही है। इसे लड़ना आज भी उतना ही प्रासंगिक और ज़रूरी है, जितना पिछली सदी में, 1965 से 1977 के कालखण्ड में। उसके साथ वही सब घटता है जो टिंचरी माई के साथ घटा था। माई की कहानी से उसे प्रेरणा और शक्ति मिलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दिल्ली में पली-बढ़ी मेघा भी टिंचरी माई की ही तरह समाज के लिए समर्पित भाव से कार्य करती है। फ़िल्म समाज की पितृसत्तात्मक बुनावट, स्त्री सशक्तीकरण और सामाजिक बदलाव जैसे सवालों को उठाती है।
हिन्दी फ़िल्म: ‘टिंचरी माई: द अनटोल्ड स्टोरी’
प्रोडक्शनः एनएन प्रोडक्शन
प्रस्तुतकर्ताः डॉ. पुष्करमोहन नैथानी
लेखकः लोकेश नवानी
निर्देशकः केडी उनियाल
निर्माताः नवीन नौटियाल, विनय अग्रवाल, महेश गुप्ता
फ़िल्म की शूटिंग- बौंठ गांव, टिहरी, चोपता, उखीमठ, धारी देवी, मलेथा, देवप्रयाग संगम, बुग्गावाला, ज्वाल्पाजी, गवांणी तथा देहरादून के झंडाजी महाराज, गांधी पार्क, माल देवता, राजपुर मार्ग तथा अन्य अनेक स्थानों में हुई है। फ़िल्म में 70 से अधिक कलाकारों ने अभिनय किया है। फ़िल्म का निर्देशन युवा निर्देशक केडी उनियाल ने किया है। साथ ही विनय अग्रवाल, महेश गुप्ता भी निर्माता हैं।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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