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September 10, 2025

भारत पर अमेरिकी टैरिफ के विरोध में सीपीआईएम का प्रदर्शन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पुतला दहन

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सीपीएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया है। ये टैरिफ 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होने वाला है। इसके खिलाफ सीपीएम ने देशव्यापी विरोध दिवस मनाया। इसके तहत सोमवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पार्टी ने जलूस निकालकर भारी बारिश के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कै खिलाफ जोरदार नारेबाजी की तथा पुतला दहन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पार्टी कार्यकर्ता राजपुर रोड़ स्थित कार्यालय में एकत्रित हुए। यहां से जलूस की शक्ल में गांधी पार्क के पास पहुंचे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‌पुतला दहन किया। इस अवसर पर आयोजित सभा में ‌वक्ताओं ने अमेरिकी दादागिरी का जमकर विरोध किया। उन्होंने ट्रंप के इस कदम को “आर्थिक दंड” और “राजनीतिक दबाव” के रूप में वर्णित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने तर्क दिया कि अमेरिका भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। विशेषकर रूस से तेल खरीदने के भारत के निर्णय के संदर्भ में वह अपनी मनमानी भारत पर थोपना चाहता है। वक्ताओं ने कहा कि वे इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन मानते हैं, जैसा कि चीन ने भी इंगित किया है। वक्ताओं ने रूस के साथ संबंधों का समर्थन किया तथा भारत की ओर से रूस से तेल आयात जारी रखने का भी समर्थन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने कहा है कि यह भारत की ऊर्जा, सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक है। अमेरिका का दबाव भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास है। वक्ताओं ने पीएम मोदी के उस बयान का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय हितों से समझौता न करने की बात कही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने आर्थिक प्रभावों पर चिंता करते हुऐ चेतावनी दी कि 50% टैरिफ भारतीय निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। विशेषकर टेक्सटाइल, फार्मा और जेम्स एंड ज्वैलरी जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों प्रभावित होंगे। इससे जीडीपी में गिरावट आ सकती है और आर्थिक विकास दर 6% से नीचे जा सकती है। साथ ही कहा कि वामदल सरकार से मजदूरों और छोटे उद्योगों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने ब्रिक्स और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की वकालत की। उन्होंने ट्रंप की कार्रवाई को अमेरिका की “एकध्रुवीय वर्चस्ववादी नीति” का हिस्सा बताया। भारत को ब्रिक्स (BRICS+) जैसे समूहों के साथ मजबूत संबंध बनाने और डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में प्रयास तेज करने की जरूरत है। ट्रंप ब्रिक्स के विस्तार से चिंतित हैं, जिसमें ईरान, इथियोपिया जैसे देश शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं ने सरकार की नीतियों की आलोचना की। साथ ही केंद्र सरकार की “अमेरिका-समर्थक” नीतियों को भी निशाना बनाया है। उनका कहना है कि पिछले वर्षों में रक्षा और व्यापार में अमेरिका पर बढ़ती निर्भरता ने भारत को कमजोर किया है। वे सरकार से चीन के साथ संबंध सुधारने और रूस के साथ त्रिपक्षीय सहयोग (भारत-चीन-रूस) को मजबूत करने का आग्रह करते हैं। जैसा कि पीएम मोदी की आगामी चीन यात्रा से संकेत मिलता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मांग की गई है कि सरकार टैरिफ का जवाब प्रतिशुल्क या डॉलर में व्यापार कम करके दे, न कि रूस से तेल आयात रोककर। सभा में पार्टी की केन्द्रीय कमेटी सदस्य राजेन्द्र सिंह नेगी, राज्य सचिव राजेन्द्र पुरोहित, जिलासचिव शिवप्रसाद देवली, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, किसान सभा कै प्रदेश महामंत्री गंगाधर नौटियाल, सीआईटीयू जिला महामंत्री लेखराज, एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलैठा, महामंत्री शैलेन्द्र परमार, जनवादी महिला समिति की प्रदेश महामंत्री दमयन्ती नेगी, एटक से एसएस रजवार आदि ने विचार व्यक्त किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रदर्शन करने वालों में पर सीआईटीयू के प्रदेश कोषाध्यक्ष मनमोहन रौतेला, जिला कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौडियाल, हिमांशु चौहान, रामसिंह भंडारी, कनिका, यूएन बलूनी, प्रदीप कुमार, नरेन्द्र सिंह‌, विप्लव, अंशुल, अर्जुन रावत, इंद्रेश नौटियाल आदि कार्यकर्ता शामिल थे।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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