उत्तराखंड में हजारों की संख्या में सरकारी स्कूल भवन जर्जर, शिक्षा मंत्री बेखबरः सूर्यकांत धस्माना

उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में सरकारी स्कूल के भवन जर्जर स्थिति में हैं। ऐसा लगता है कि शिक्षा मंत्री इस सच्चाई से बेखबर हैं। हाल ही में राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी सरकारी स्कूल के भवन का एक हिस्सा गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। इस हादसे में नौ बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जब भी कोई ऐसी दुर्घटना होती है तो अन्य राज्यों में भी सरकारें कुछ दिन के लिए सक्रिय हो जाती हैं। फिर उत्तराखंड क्यों पीछे रहता। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी स्कूल भवनों की सुरक्षा का ऑडिट करने के निर्देश दिए। इस पर कांग्रेस नेता ने कुछ सच्चाई बयां करते हुए सरकार को चेताने का प्रयास किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की राज्य के सरकारी स्कूलों की इमारतों का सुरक्षा ऑडिट कराए जाने की घोषणा एक औपचारिक कसरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों के भवन जर्जर हैं। विद्यालयी शिक्षा विभाग केवल पत्राचार कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि राज्य भर के विभिन्न जनपदों में साढ़े छह सौ से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय भवन व नौ सौ माध्यमिक विद्यालय भवन बहुत ही जर्जर हालत में हैं। विशेष तौर पर बरसातों में इनकी स्थिति और खतरनाक हो जाती है और किसी भी दिन राजस्थान के झालावाड़ के पिपलोदी गांव जैसा भयंकर हादसा घटित हो सकता है, जहां स्कूल बिल्डिंग के ढहने से सात बच्चों की दब कर मौत हो गई। हादसे में नौ बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार को लंबे अरसे से यह जानकारी है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में स्कूल भवन जर्जर स्थिति में हैं। फिर भी प्रदेश के शिक्षा मंत्री को इस बात की परवाह नहीं है। वह तो स्कूल भवनों की मरम्मत करने की बजाय राज्य में क्लस्टर विद्यालय के नाम पर चौदह सौ स्कूल बंद करवाने के प्रयास में दिन रात एक किए हुए हैं। उनका मानना बहुत स्पष्ट है कि ना रहेगा बांस और ना बजेगी बांसुरी। जब स्कूल ही नहीं रहेंगे तो बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
धस्माना ने कहा कि राजस्थान में घटित दुखद घटना के चलते मुख्यमंत्री ने स्कूलों का सुरक्षा ऑडिट करवाने का आदेश तो दे दिया, किन्तु उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि यह औपचारिकता राज्य की सरकार की ओर से हमेशा तब की जाती है, जब किसी प्रदेश में किसी दुर्घटना से कोई जन हानि होती है। पिछले दिनों जब दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में पानी भरने से व एक प्रतिष्ठान में आग लगने की घटना से जन हानि हुई थी, तो उत्तराखंड में भी सभी कोचिंग केंद्रों पर फायर और सुरक्षा इंतजाम परखने का आदेश मुख्यमंत्री धामी ने दिए थे। कुछ दिन बाद फिर वही “डाक के तीन पात” खत्म हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार ने कितने स्कूलों के जर्जर भवनों की मरम्मत कराई, इसकी भी जानकारी देनी चाहिए। यदि मरम्मत कराई तो फिर ऑडिट की नौबत क्यों आ रही है। सबसे ज्यादा अफसोसनाक बात यह है कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ बने बैठे हैं। राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां पीने का पानी, लाइट व शौचालयों की व्यवस्था नहीं है। शिक्षा मंत्री के पास यह सब जानकारी है, किन्तु वे कुछ करते नहीं। सीएम हों या चाहे शिक्षा मंत्री, ये सभी बहुत जल्दी बिहार में चुनाव प्रचार के लिए निकलने वाले हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।