ओआईसी के 57 देशों ने दिया पाकिस्तान का साथ, भारत के मामले में अड़ाई टांग, इनमें वे देश भी हैं, जहां से सांसद पिकनिक मनाकर लौटे

भारत के प्रधानमंत्री 150 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं। इन यात्राओं का भारत को कितना लाभ मिला, ये तो पता नहीं, लेकिन बड़े ‘ए’ का कारोबार जरूर दुनिया भर में फैलता चला गया। यही नहीं, कई देशों ने पीएम मोदी को अपने यहां से सर्वोच्च सम्मान से भी नवाजा। कारण है कि यदि पीएम मोदी की विदेश यात्राओं से भारत को लाभ मिलता तो अलग से पाकिस्तान के संबंध में समझाने के लिए 51 सांसदों को भेजने की जरूरत नहीं पड़ती। अब ऐसे देशों में कई देश पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। यही नहीं, पाकिस्तान की करतूतों को दुनियाभर के देशों में समझाने के लिए भारत के 51 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की यात्रा भी हवाई साबित हुई। ये सांसद भी पिकनिक मनाकर लौटे। क्योंकि इन सांसदों की मुलाकात सिर्फ एक देश के राष्ट्राध्यक्ष से हुई। बाकि कोई गाना सुनाकर वापस लौटा तो कोई फोटो खिंचवाकर। क्योंकि कुवैत, कतर, साउदी असब, मलेशिया सहित कुल 11 देश ऐसे हैं, जहां भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल गया था। फिर भी ये सांसद इन देशों को अपनी नीति को समझा तक नहीं पाए। जहां सांसद समझाकर आए, उसका असर उन 11 देशों में भी नहीं दिखा, जो ओआईसी के सदस्य हैं। कुल मिलाकर 57 देशों में एक भी देश ने भारत की वकालत नहीं की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सिंधु जल विवाद में कूदा ओआईसी
तुर्की में ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (OIC) देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) के 51वां सत्र में सिंधु जल समझौते पर बात हुई है। सीएफएम ने भारत-पाक के सिंधु जल समझौतों को जारी रखने पर जोर दिया है। 57 इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी की तुर्की के इंस्ताबुल में हुई बैठक में सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) सहित पाकिस्तान-भारत के बीच द्विपक्षीय समझौतों का सख्ती से पालन करने का आह्वान दोनों पक्षों से किया गया है। ओआईसी का ये आग्रह इस मुद्दे पर पूरी तरह पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कश्मीर नीति को लेकर एकतरफा टिप्पणी
57 मुस्लिम देशों के संगठन OIC की विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) ने अपने साझा बयान में जहां एक ओर भारत-पाक के बीच हुए सिंधु जल समझौते (IWT) को जारी रखने की बात कही, वहीं दूसरी ओर भारत की सैन्य कार्रवाई और कश्मीर नीति को लेकर भी एकतरफा टिप्पणी की। OIC ने अपने साझा बयान में साफ कर दिया कि वह पाकिस्तान के रुख का पूरी तरह समर्थन करता है और भारत से अधिकतम संयम बरतने की उम्मीद करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएफएम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमारी गहरी चिंता दक्षिण एशिया में हालिया दिनों में हुई सैन्य वृद्धि पर है। इस चिंता में पाकिस्तान में कई स्थानों पर किए गए भारत के हमले शामिल हैं। हम दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और ऐसे कार्यों से बचने की आवश्यकता पर जोर देते हैं, जो क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं। बयान में सिंधु समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए और दोनों पक्षों को इसका पालन करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाकिस्तान के सुर में मिलाया सुर
इस्तांबुल में आयोजित इस्लामी देशों की दो दिवसीय बैठक में सीएफएम ने सिंधु समझौते के अलावा कश्मीर मुद्दे पर भी पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया है। सीएफएम ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, ओआईसी के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय अधिकार के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार भी ओआईसी की बैठक में शामिल होने के लिए तुर्की गए हैं। इसमें खास बात ये रही कि डार के साथ पाकिस्तान आर्मी के चीफ असीम मुनीर भी डार के साथ तुर्की गए। मुनीर ने तुर्की में मेजबान देश के प्रेसीडेंट रेसेप एर्दोगन के साथ मुलाकात की। इन बैठकों का असर बैठक के बाद के बयान पर भी दिख रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सिंधु जल संधि पर विवाद
सिंधु जल संधि पर भारत और पाकिस्तान ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते में भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी को बांटने को लेकर नियम तय किए गए हैं। भारत ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद इस संधि से पीछे हटते हुए पाकिस्तान का पानी रोकने की बात कही है। इस पर पाकिस्तान ने कड़ी नाराजगी जताई है और समझौते से हटने पर भारत को युद्ध की धमकी दी है। इस मुद्दे पर दोनों देशों में बीते तीन महीने से तनातनी है। इसी पर अब इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने बयान दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कश्मीर पर भी पाकिस्तान से मिलाए सुर
OIC की इस बैठक में भारत के लिए एक और चिंता की बात यह रही कि कश्मीर मुद्दे पर भी संगठन ने पाकिस्तान के पक्ष को पूरी तरह दोहराया. बयान में कहा गया कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों, OIC के रुख और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुरूप, कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। यह बयान भारत की उस नीति के खिलाफ है जिसमें कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा माना गया है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत ने की आलोचना
भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आलोचना करते हुए कहा कि वह पाकिस्तान के प्रभाव में आकर कश्मीर को लेकर उसके बारे में अनुचित और तथ्यात्मक रूप से गलत बयान दे रहा है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान वो देश है, जिसने आतंकवाद को एक राजकीय कौशल के रूप में तब्दील कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने और आतंकवाद और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की अपनी हरकतों को छिपाने के लिए पाकिस्तान ओआईसी का इस्तेमाल कर रहा है, जिसकी अनुमति इन देशों ने भी उसको दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में भारत के बारे में अनुचित और तथ्यात्मक रूप से गलत संदर्भों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है। बयान में कहा गया आतंकवाद को राजकीय कौशल में तब्दील करने वाले पाकिस्तान के इशारे पर ये बयान संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ओआईसी मंच के निरंतर दुरुपयोग को दर्शाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के वास्तविक खतरे को स्वीकार करने में ओआईसी बार-बार विफल रहा है, जिसका सबसे हालिया सबूत पहलगाम हमले में देखने को मिला। यह तथ्यों के प्रति जानबूझकर की गई उपेक्षा को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान किस तरह झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ओआईसी का इस्तेमाल करता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी देशों को भारत के आंतरिक मामलों पर कुछ भी कहने का हक नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. यह एक ऐसा तथ्य है, जो हमारे संविधान में निहित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी के पास भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें जम्मू और कश्मीर भी शामिल है, जो भारत का अभिन्न और संप्रभु हिस्सा है। एक ऐसा तथ्य जो भारतीय संविधान में निहित है और यह अपरिवर्तनीय है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।