आगामी चार माह में पर्वतीय जल स्रोतों के प्रबंधन के कार्यों को प्रमुखता से करेगी पर्यावरण गतिविधिः सच्चिदानंद भारती
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सामाजिक संस्था पर्यावरण गतिविधि महानगर देहरादून की ओर से सुशीला इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में “हरित संगम” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम देहरादून के कारगी चौक स्थित कृष्णा गार्डन में किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम की अध्यक्षता पर्यावरण गतिविधि के प्रांत संयोजक एवं पर्यावरणविद् सच्चिदानंद भारती ने की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण बचाने में जन सहभागिता से हम सभी को आगे बढ़ाना है। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि पर्यावरण गतिविधि की ओर से आगामी चार माह में नौला धारा संरक्षण चतुर्मास के अंतर्गत पर्वतीय प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रबंधन और पुनर्जीवन कार्यों को प्रमुखता से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जल स्रोतों का प्रबंधन परंपरागत शिल्प कला के माध्यम से किया जाना चाहिए। हमें सीमेंट आदि का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुशीला इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष तुषार सिंघल ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण में विद्यार्थियों एवं युवाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और इन्हें पर्यावरण संरक्षण संबंधी कार्यों से जोड़ना होगा। अतिथियों का परिचय पर्यावरण गतिविधि महानगर उत्तर के संयोजक डॉ भवतोष शर्मा ने दिया। उन्होंने कहा कि जलस्रोतों का प्रबंधन, उनकी स्वच्छता तथा उनका पुनर्जीवन सामाजिक सहभागिता से हर रविवार दून घाटी के प्राकृतिक जल स्रोतों की स्वच्छता एवं प्रबंधन संबंधी कार्य किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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उत्तराखंड रेड क्रॉस के महासचिव डॉक्टर हरीश खकरियाल ने “पर्यावरण संरक्षण में युवा शक्ति की भूमिका” पर चर्चा की। डॉ दीपिका डिमरी ने “पर्यावरण में पॉलिथीन के दुष्प्रभाव और विकल्प” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून के कृषि विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ अनिल कुमार सक्सेना ने “जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण” विषय पर व्याख्यान दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ भवतोष शर्मा ने “प्रयागराज महाकुंभ हेतु एक थैला एक थाली अभियान की सफलता” विषय पर अपना संबोधन दिया। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ दीपक जोशी ने जल स्रोत प्रबंधन पर मसूरी क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्यों को प्रस्तुत किया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ दीपक सेमवाल ने “औषधीय पौधों के महत्व” पर प्रकाश डाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक रमेश रावत ने पर्यावरण संरक्षण में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राजेश्वरी सेमवाल, दीपा जोशी रिंकी पंत, राजेश पंत, केपी सकलानी, विनोद कंडारी, जयवीर, रोहन पंवार, शुभाशीष ढोंडियाल, उमेश उनियाल, मनीषा पांडे, दीक्षा, उत्तरांचल विश्वविद्यालय के डॉ मनवीर सिंह, डॉ चेतन शर्मा, मयंक नौटियाल सहित 100 से अधिक लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।