Video: बर्फ से ढका गंगोत्री धाम, साधना में लीन हैं 28 साधु, बर्फ पिघलाकर पीते हैं पानी

विश्वप्रसिद्ध धाम गंगोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बावजूद यहां धाम क्षेत्र में 28 साधु साधना में लीन हैं। इनमें दो साधु तपोवन में हैं। गंगोत्री धाम में अधिकांश हर दिन बर्फबारी हो रही है। भागीरथी गंगा नदी तक बर्फ से ढक चुकी है। नदी के नाम पर सिर्फ पतली सी धारा नजर आ रही है। इस धारा में ही सुबह के समय साधु स्नान को जाते हैं। वहीं, बर्फ को पिघलाकर उसे पीने योग्य बनाया जाता है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री धाम में मंदिर के निकट ही साध्वी अनंत आनंद माता भी पिछले 15 साल से निवास कर रही हैं। शीतलाल में वह भी साधना में लीन हैं। वह कहती हैं कि गंगोत्री धाम की महिमा, उनके गुरुजनों का आशीर्वाद के साथ ही पूर्व जन्म का पुण्य रहा होगा कि वह इस समय गंगोत्री धाम में विश्राम कर रही हैं।
उनका कहना है कि जब शीतकाल में मां गंगा की डोली शीतकालीन प्रवास पर मुखवा पहुंच जाती है तो गंगोत्री में देवतागण मां गंगा के दर्शन को पहुंचते हैं। ऐसे में शीतकाल में गंगोत्री में विश्राम करना पड़ा पुण्य है। सुबह उठने के वह वह स्नान के लिए घाट पहुंचती हैं। फिर उनका दिन हवन, ध्यान, वेद पाठ के अध्ययन और भोजन व्यवस्था में बीत जाता है।
कड़ाके की ठंड में गंगोत्री में 28 साधु साधना में लीन हैं। वन विभाग के गंगोत्री रेंज अधिकारी के अनुसार इनमें दो साधु तपोवन में है। बिना किसी संसाधन के हिमछादित हिमालय की कड़ाके की ठंड में भी ये साधु योग साधना लीन रहते हैं। कपाट बंद होने के कुछ दिन बाद से ही धाम में इस वर्ष अत्यधिक बर्फबारी शुरू हो गई थी। मंदिर के कुछ कर्मचारी धाम में केवल अलावा के सहारे ही जीवन गुजारते हैं। अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण बर्फ को ही पिघलाकर पानी की आवश्यकता पूरी की जाती है।
उतरकाशी से सत्येंद्र सेमवाल की रिपोर्ट।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।