विश्वगुरु का डंका, फोर्ब्स की सूची से भारत गायब, भेड़ बकरियों की तरह प्रवासियों को भेज रहा अमेरिका
हाल ही में खबर आई कि फोर्ब्स की शक्तिशाली देश में सूची में टॉप टेन में भारत का नाम ही नहीं है। 2025 में दुनिया के शीर्ष 10 शक्तिशाली देशों की सूची में भारत का स्थान 12वां है। इस सूची को प्रकाशित करने वाले फोर्ब्स के तर्क हैं कि वह दावेदार देशों को कई पैरामीटर पर परखता है। हालांकि, भारत का तर्क है कि भारत जैसे सबसे बड़ी आबादी, चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश को बाहर रखना समझ से परे है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फोर्ब्स का कहना है कि यह रैंकिंग आर्थिक स्थितियों, मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों और सैन्य शक्ति सहित विभिन्न कारकों पर आधारित है। भारत दुनिया की जीडीपी रैंकिंग में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद 5वें स्थान पर है। फोर्ब्स ने बताया कि यूएस न्यूज की ओर से पावर सब-रैंकिंग पांच विशेष विशेषताओं से ‘इक्वली वेटेज एवरेज ऑफ स्कोर’ पर आधारित है, जो किसी देश की शक्ति को दर्शाती हैं। इनमें निम्नलिखित प्वॉइंट शामिल हैं। देश का नेता। देश का आर्थिक प्रभाव। देश का राजनीतिक प्रभाव। देश का मजबूत अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन।देश की मजबूत सेना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब अंतराष्ट्रीय गठबंधन की बात करें तो हम विश्वगुरु का डंका पीटते हैं, लेकिन विदेशों में भारत की छवि कैसे ही इसे भी समझ लीजिए। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप ने पीएम मोदी को अपने शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी को नहीं बुलाया गया। वहीं, उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनकी नीता अंबानी को वीआईपी की तरह क्यों बुलाया। हालांकि, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को न्योता तो दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के उद्योगपति अडानी के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा होता है, जबकि अडानी पर रिश्वत के आरोप तो भारत में देने के लगे थे। फिर अमेरिका मुकदमा क्यों करता है। जिस पन्नू को हमने आतंकवादी घोषित किया, उसी पन्नू की हत्या की साजिश में अमेरिका की कोर्ट में एनएसए के खिलाफ मुकदमा हो जाता है। यही नहीं, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में पन्नू खालिस्तान के समर्थन में नारा लगाता है। विदेश मंत्री मौके पर ही थे, लेकिन भारत की ओर से विरोध तक दर्ज नहीं किया गया। कनाडा भी एक हत्या के मामले में भारत से नाराज है। पाकिस्तान और चीन से तो पहले से संबंध खराब थे। अब तो श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल भूटान, मालद्वीव से भी संबंध बिगड़ गए। नेपाल का झुकाव भी चीन की तरफ होने लगा है। फिर विश्वगुरु कैसे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 104 भारतीयों को वापस भेज दिया। उन्हें अवैध प्रवासी बताया गया है। कहा तो ये जा रहा है कि अमेरिका में अवैध प्रवासियो में करीब सवा सात लाख भारतीय हैं। इनमें 17940 ऐसे हैं, जो अब कहीं अपील नहीं कर सकते हैं। बाकी के पास सभी कानूनी विकल्प हैं और अदालत में मामले चल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इनमें 1700 के करीब को पकड़ लिया गया है। पहली खेप में मालवाहक विमान में 104 लोगों को ठूंसकर भारत पहुंचाया गया है। मीडिया की बताया तो ये भी जा रहा है कि इनके हाथों में हथकड़ी थी और पैरों को जंजीरों से बांधकर भारत भेजा गया। इनमें 33 लोग गुजरात से हैं। कम से कम अमेरिका में 40 से 50 हजार अवैध प्रवासियों में गुजराती हैं। भारतीयों को इस तरह अमानवीय तरीके से वापस लाने का भारत ने विरोध दर्ज नहीं किया। इसकी हमें जानकारी नहीं है। इन प्रवासियों को लेकर विमान कल बुधवार को ही अमृतसर पहुंचा। 35 घंटे के सफर में इन भारतीयों के लिए विमान में सिर्फ एक टायलेट था। देख आजाद होने के बाद पहली बार भारत की इतनी भारी बेईजत्ती हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब स्थिति देखिए अमेरिका ने मौक्सिको, कोलंबिया, पनामा, चीन, कनाडा के साथ ही ऐसा ही व्यवहार करने की कोशिश की, लेकिन इन देशों के विरोध के चलते अमेरिका को झुकना पड़ा। वहीं भारत ने पहले ही झुकते हुए अपने नागरिक मान लिए और अमानवीय तरीके से उन्हें भारत लाने के मामले में चुप्पी साध ली। वहीं, अन्य देखों ने इस मामले में पहले जांच करने की बात कही। अमेरिका के विकास में भारत का योगदान बड़ा है। ऐसे में भारत को दबने की बजाय कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी। ये तो संभव नहीं हुआ। कोलंबिया ने अपने प्रवासियों का स्वागत किया। वहीं, भारत ने ऐसे लोगों से मीडिया तक को मिलने नही दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की कल्पना कैसे करोगे। जब इस बार के केंद्रीय बजट में अमेरिका को खुश करने की छाप देखी गई। सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कस्टम ड्यूटी घटाने की मांग के बाद 1600 CC इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलों की यूनिट पर इंपोर्ट ड्यूटी 50% से घटाकर 40% कर दिया है। नई दर विदेश से आने वाली सभी हाई कैपिसीटी बाइक पर लागू होगी। इससे भारत में Harley Davidson समेत दूसरी विदेशी बाइकें सस्ती हो जाएंगी, लेकिन भारत में बनने वाले वाहनों के बाजार में संकट भी खड़ा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब भारत में ही सच को छिपाने के प्रयासों को देख लीजिए। महाकुंभ में हुई करीब तीन भगदड़ को लेकर अभी तक मौतों के फाइनल आंकड़े तक नहीं आए हैं। कई मीडिया के साथ ही विभिन्न विपक्षी दल यूपी की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि आंकड़ों को छिपाया जा रहा है। संसद में विरोध प्रदर्शन के बाद समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि घटना के बाद से 15,000 लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों के लापता होने की सूचना दी है और सरकार कोई जानकारी नहीं दे रही है। हमारे मुख्यमंत्री हर दिन वहां (प्रयागराज) होते हैं, सभी अधिकारी वीआईपी लेन को ठीक रखने में व्यस्त रहते हैं और उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि आने वाले आम लोग डूबते हैं या मरते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।