यूकेडी ने किया यूसीसी का विरोध, सनातन संस्कृति को पश्चिमी संस्कृति में ले जाने का आरोप
उतराखंड क्रांति दल ने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता का विरोध किया है। उक्रांद के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यूसीसी सनातन संस्कृति को पश्चिम संस्कृति की तरफ ले जाने का कुचक्र है। बैठक में राज्य सरकार की ओर से मूल निवासियों पर थोपे गए काले कानून और यूसीसी को वापस लिए जाने की मांग की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में उक्रांद युवा प्रकोष्ठ के निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि यूसीसी सनातन संस्कृति को पश्चिम संस्कृति की ओर ले जा रहा है। लिव इन रिलेशन में जो बच्चा पैदा होगा, उसे वैध ठहराया गया है। उसे संपत्ति पर अधिकार दिया गया है। इस कानून के लागू होने से भारतीय संस्कृति के जिन 16 संस्कारों की परम्परा रही हैं, वह परम्पराएं टूट जाएंगी। साथ ही सामाजिक ताना-बाना टूट जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि महज एक साल उत्तराखंड में रहने वाले को भी यूसीसी में उत्तराखंड का निवासी करार दिया है। ऐसे में राज्य के युवाओं के रोजगार पर भी सरकारी विभागों में डाका डालने का रास्ता खोलने की मंशा है। उतराखंड की जनता मूल निवास एवं सशक्त भू कानून के लिए निरंतर संघर्षरत है। वहीं, सरकार राज्य के निवासियों को मूल अधिकारों से भटकाकर काला कानून थोप कर उन्हें गुमराह करने का कार्य कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उतराखंड क्रांति दल काले कानून को वापस लिए जाने को लेकर नारसन से नीती गाँव तक पैदल यात्रा के माध्यम से जनता को जागरूक कर पैदल करेगी। ये यात्रा 10 फरवरी से प्रारंभ की जायेगी। बैठक में यूकेडी के केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण, मीडिया प्रभारी अनिल थपलियाल, किरण रावत, आशुतोष नेगी, बहादुर सिंह रावत, संजीव भट्ट, वीपी भट्ट, पंकज व्यास, आशुतोष भंडारी, शकुंतला रावत, परवीन रमोला, मनीष रावत, अतुल बेंजवाल, प्रकाश भट्ट आदि उपस्थित रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।