उत्तराखंड के प्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायक जगदीश बकरोला का निधन, उनके नाम है सबसे ज्यादा गढ़वाली ऑडियो गीत का रिकॉर्ड
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायक जगदीश बकरोला का दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में गुरुवार को निधन हो गया है। वह करीब 65 साल के थे। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दृष्टिबाधित जगदीश बकरोला ने दिल्ली में पंचकुइया रोड स्थित अंध विद्यालय में संगीत अध्यापक के रूप में सेवाएं भी दी थी। वह सेवानिवृत्त हो चुके थे। वह दिल्ली में रहते थे। उनके निधन से उत्तराखंड संगीत जगत में शोक की लहर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ढाई साल की उम्र में चली गई थी आंखों की रोशनी
पौड़ी गढ़वाल के अस्वालस्यूं पट्टी के ग्राम बकरौली में जन्में जगदीश बकरोला दृष्टिहीन थे। मात्र ढाई साल की उम्र में उनकी दोनों आँखों की रोशनी चली गयी थी। उन्होंने 80 के दशक में गढ़वाली लोक संगीत के क्षेत्र में जो अध्याय लिखा उसे सदियों तक याद किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मेलों और रामलीला के गीतों को सुनकर ली संगीत शिक्षा
जगदीश बकरोला ने गीत-संगीत की शिक्षा बचपन में गांव में लगने वाले मेलों, रामलीला और स्कूल के कार्यक्रमों में गाने वाले लोगों को सुनकर ली। इसके बाद इस महान कलाकार ने उत्तराखंडी लोक-संगीत को एक नया रूप दिया। एक समय जगदीश बकरोला और लोक गायिका सुनीता बेलवाल की युगल प्रस्तुतियों ने पहाड़ के हर संगीत प्रेमी को अपने गीतों का दीवाना बना दिया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गढ़वाली में पहली बार युगल गीत का किया प्रयोग
80 के दशक में जगदीश बकरोला ने अपने गीतों और आवाज के माध्यम से गढ़वाल अंचल में नये प्रयोग किये। तब युगल गीतों का जमाना नहीं था। हर पुरुष गायक एकल गीत ही गाते थे। चाहे वो जीत सिंह नेगी हों या फिर गोपाल बाबू, हीरा सिंह राणा, मोहन उप्रेती, चंद्र सिंह राही, राम प्रकाश, केशवदास अनुरागी, गिरीश तिवारी, नरेन्द्र सिंह नेगी। उस दौरान में युगल गीत गढ़वाली में पहली बार बकरोला जी लाए और धूम मचा दी। शादियों-कौथीगों में उनके ही गीत सबसे ज्यादा बजते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिए कई हिट गीत, सबसे ज्यादा ऑडियो गीतों का रिकॉर्ड
जगदीश बकरोला के नाम सबसे ज्यादा गढ़वाली ऑडियो गीत का रिकॉर्ड है। उन्हें उत्तराखंड के रिकॉर्डिंग स्टूडियो में लोक तालों के पैर्टन को ढोलक-तबले में लाने का श्रेय जाता है। उनके हिट गीतों की बात करें तो सनका बांद, हे बौ सतपुली का सैंणा, जुखाम लग्यूचा, लाला मंसाराम, अंग्रेजी बुलबुल, मि छौ मिलटरी का छोरा, गढ़वाली लौंडा रे गोबिंदु, मेरी बौऊ सुशीला बौजी मिन कॉथिग जाणा या, सड़की तीर को छै घसेरी, सतपुली बाजार क्यो आन्दी मेरी ब्वारी गौमती हे या, कुछ न पूछ द्यूरा मिथै जुखाम लग्यूचा आदि सैकड़ों सुपरहिट गीत हैं। बकरोला ने अपने नजदीकी बाजार सतपुली पर कई गीत लिखे और गाये हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीएम धामी सहित संगीत प्रेमियों ने जताया दुख
लोक गायक जगदीश बकरोला के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, अभिनेता बलदेव राणा, लोक गायक डॉ अजय ढौंडियाल, ओम बधाणी, लोक गायिका रेखा धस्माना, मीना राणा, कल्पना चौहान, रेशमा शाह, गजेन्द्र राणा, दर्शन फर्स्वाण, वीरेंद्र राजपूत, सौरभ मैठाणी, संगीता ढौंडियाल, विजय पंत, सहाब सिंह रमोला, आकांक्षा रमोला, बीना बोरा, केशर पंवार, चंद्र दत्त सुयाल, पूनम सती, निधी राणा, अनीशा रांगड, रेनू बाला, रेशमा भट्ट, राम कोशल, धनराज शोर्य, सीमा पंगरियाल, सूर्यपाल श्रीवाण, राम कोशल, सुनीता बिलवाल सहित संगीत प्रेमियों और कई प्रसिद्ध गायकों ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।