दीपावली पर्व पर दृष्टि दिव्यांग डॉ. सुभाष रुपेला की कविता- लक्ष्मी कृपा
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अँधेरे मिटें रोशनी जगमगाए।
रौनक ही रौनक ढेर घर में समाए।।
बढ़े खुशहाली पाएं धन मान काफी।
ख़ुशी देने लक्ष्मी इधर चल के आए।।
दौलत ख़ाने पर दिये तो जला लो।
ये पूजा की थाली देवी को लुभाए।।
लगा लो विजय का माथे पर ये टीका।
फिर आशीष देने माता जल्द आए।।
बरसती कृपा है ज़रा नाम जप लो।
ऐसी भक्ति देवी को सदा रास आए।। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
दीवाली पे कपड़े पुराने न पहनो।
नए कपड़ों से माता ख़ुश हो जाए।।
न घर में कभी भी रखो गंदगी तुम।
सफ़ाई बहुत लक्ष्मी को रिझाए।।
सफेदी कराई, चमक घर में आई।
चमक देख पद्मा बसेरा बनाए।।
दुआएं निवेदित देवी से यहीं है।
गरीबी निकल भाग भारत से जाए।।
कमाना है ज्यादा, तो पढ़ना भी ज्यादा।
सुशिक्षित जहाँ में सदा मान पाए।।
नमन शारदा को किया पहले उठकर।
रुपेला कृपा लक्ष्मी की पा जाए।।
कवि का परिचय
डॉ. सुभाष रुपेला
रोहिणी, दिल्ली
एसोसिएट प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय
जाकिर हुसैन कालेज दिल्ली (सांध्य)
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