75वां रामलीला महोत्सवः तेरे राज का लेना मैंने छाड़ दिया, ये कहते हुए राम को लेने वन गए भरत, लक्ष्मण बोले- मारूं भरत को आज

तेरे राज का लेना मैंने छाड़ दिया। माता कैकेई से कुछ इसी तरह भरत बोलते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि राम 14 साल के वनवास के लिए राजपाठ छोड़कर वन को चले गए। भरत भी राम को लेने के लिए वन की ओर से प्रस्थान करते हैं। राम से मिलते हैं। पिता की मौत का संदेश देते हैं। राम दुखी हो जाते हैं, लेकिन वह अयोध्या वापस लौटने से मना कर देते हैं। आखिर में भरत राम की खड़ाऊ (चरण पादुका) लेकर वापस लौटते हैं। साथ ही कहते हैं कि यदि 14 साल में एक दिन भी वापस लौटने में राम ने देरी की तो वह प्राण त्याग देंगे। देहरादून में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर द्वारा 75 वें हीरक जयंती श्रीराम लीला महोत्सव-2024 के छठे दिन बुधवार नौ अक्टूबर की रात्रि को श्रीराम लक्ष्मण सीता के वनगमन के कारण राजा दशरथ (चरण सिंह) के ब्रह्मलीन होने के बाद की लीला का मंचन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नौनिहाल से भरत और शत्रुघ्न अयोध्या बुलाया
नौनिहाल गये भरत और शत्रुघ्न को अयोध्या बुलवाया गया। अयोध्या पहुंचने पर भरत (विभू वेदवाल) और शत्रुघ्न (विनय शर्मा) को अयोध्या में दुर्दशा नजर आई। उन्होंने शंका जाहिर की कि-अयोध्या में ये ग़म के आसार कैसे हैं, पड़े चारों तरफ राख के अंगार कैसे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैकेई से पता चला कि पिता नहीं रहे और राम वन चले गए
राजमहल में पहुंच कर माता कैकेई (विनोद) से हाल जानने पर भरत को पता लगा कि जब महाराज दशरथ (चरण सिंह) जब राम (उपदेश भारती) को अयोध्या का राजा बनाने लगे तो मंथरा (रघुबीर) ने उचित अवसर जानकर मुझे सचेत कर दिया। तो मैंने महाराज से अपने पुराने दो वरदान, जिसमे तुम्हारे लिए अयोध्या का राज और दूसरे वरदान मे राम को चौदह वर्ष का वनवास मांग लिया। बस इस कारण तुम्हारे पिता चल बसे। यह सुनकर भरत विलाप करते हुए अपनी माता कैकेई (विनोद) पर बहुत क्रोधित हुआ कि माता ने सारे अपयश का अपराधी मुझे बना दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजपाठ छोड़कर वन को चले भरत
मां की करनी से दुखी भरत ने राजपाठ छोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने- तेरे राज का लेना मैंने छाड़ दिया, छाड़ दिया जी मैंने छाड़ दिया, कहते हुए अपनी माता कैकेई का परित्याग करने की बात भी कह डाली। इसी दौरान माता कौशल्या और सुमित्रा ने प्रवेश किया। उन्होंने भरत को समझाया। फिर भरत ने शत्रुघ्न के साथ गुरु वशिष्ठ (रघुवीर) से आज्ञा प्राप्त कर अपनी माताओं के साथ राम, लक्ष्मण सीता को वापस लाने के लिए वनवास को प्रस्थान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भरत रास्ते भर लोगों से पूछते फिर रहे थे-बता दो राम गए किस ओर। गये कौन से रास्ते को दीजो बता। राम लखन सिया होकर खफा। भरत के साथ तीनों माताएं, गुरु, अयोध्या के निवासी भी चल रहे थे। दूर से लक्ष्मण जब भरत के साथ भीड़ देखते हैं तो उन्हें शंका होती है कि भरत राम पर हमला करने आ रहे हैं। वह राम से भरत को मारने आज्ञा मांगते हैं। वह कहते हैं-दीजो हुकुम महाराज कि नहीं नहीं। मारूं भरत को आज कि नहीं नहीं। ऐसा धर्म किस काम का भ्राता जी, जाती है जिसमें लाज कि नहीं नहीं। चित्रकुट वन में श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण को समझाते हैं कि भरत कभी ऐसा कुछ नहीं कर सकते हैं। श्री राम (उपदेश भारती) के शांत करने पर ही लक्ष्मण (गणेश भारती) शांत हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्यारे हमारे, आंखों के प्यारे, रोते हो क्यों बार बार
राम के मिलते ही भरत लगातार रोते रहते हैं। उनकी आंखों से आंसू बरसते देख राम दुखी हो जाती हैं। वह कहते हैं- प्यारे हमारे, आंखों के प्यारे, रोते हो क्यों बार बार। किसने रुलाया, किसने सताया। किसने तुम्हें दुख पहुंचाया। तब भरत ने रोते हुए राम को पिता की मृत्यु का समाचार सुनाकर वापस अयोध्या चलने की प्रार्थना की। पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर राम लक्ष्मण और सीता भी दुखी होकर विलाप करने लगे। भरत के बहुत जोर देने पर राम ने स्पष्ट कहा कि मैं पिताजी की आज्ञा का पूरी तरह से ही पालन करके चौदह वर्ष वनवास की अवधि व्यतीत करके ही अयोध्या वापस आऊंगा। इस प्रकार हताश और निराश भरत ने श्रीराम के स्थान पर उनकी चरण पादुकाएं लेकर उन्हें अयोध्या के राजसिंहासन पर रखने की बात कहकर, एक प्रहरी की भांति सेवक बनने के संकल्प के साथ ही वापस अयोध्या के लिए प्रस्थान किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजपुर में 75 वें हीरक जयंती श्रीरामलीला महोत्सव 2024 के छठे दिवस पर अतिथियों में शिक्षाविद एवं ज्योतिषाचार्य पं. रामलखन गैरोला, राजपुर विधायक खजानदास के प्रति निधिविशाल गुप्ता, रेडक्रास सोसायटी के चैयरमेन डॉ. एम एस अंसारी, सचिव कल्पना बिष्ट, प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहन सिंह खत्री, समाजसेवी एडवोकेट प्रमोद शर्मा, वंदना शर्मा, उमाशंकर शर्मा तथा शिवनारायण का स्वागत सम्मान श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट,राजपुर पदाधिकारियों द्वारा किया गया। वहीं श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट, राजपुर के वरिष्ठ संरक्षक विजय जैन, जयभगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अजय गोयल, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल, उप प्रधान संजीव गर्ग, राजकुमार गोयल, संजीव गर्ग, भारत भूषण गर्ग, आडिटर ब्रह्म प्रकाश वेदवाल, निर्देशक शिवदत्त अग्रवाल, चरण सिंह, प्रधान योगेश अग्रवाल, स्टोर कीपर वेद प्रकाश साहू, स्टेज मैनेजर सुभाष कन्नौजिया, अनुनय गोयल अन्य पदाधिकारियों में मोहित अग्रवाल, अमित रावत, अमन अग्रवाल, विभू वेदवाल, विनय शर्मा, अमन कन्नौजिया, करण कन्नौजिया आदि अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।