शिक्षिका सरिता मैन्दोला की रचना- राम कथा (भाग -एक)

दोहा
कर जोड़ी वंदन करूं,
गुरु को शीश झुकाय।
रामकथा तुमसे कहूं,
हनुमत निकट बिठाय
चौपाई
सरयू तीरे है इक नगरी।
जाने है ये दुनिया सगरी।।
कथा अवध की बहुत पुरानी।
राम राज था सब जग जानी।।
चहुं दिशि सुख सम्पन्नता सारी।
प्रफुलित थे सबही नर नारी।।
वहहिं के दशरथ महाराजा।
नीतिपूर्ण था तिनका काजा।। (जारी अगले पैरे पर देखिए)
चार पुत्र अरु तीन थी रानी।
अद्भुत् है ये अमर कहानी।।
राम जने कौशल्या माई।
कैकेइ से भरत सम भाई।।
लक्ष्मण शत्रुघन मात सुमित्रा।
चारों नाम हैं बहुत पवित्रा ।।
जनकपुर में सिया सुकुमारी ।
वहीं पे शम्भु धनुष था भारी ।।
जो इस शिव धनुष को उठावे।
वही वीर सीता वर पावे।।
रामचन्द्र जी शिव धनु तोरे।
मात सिया संग नाता जोड़े।।
दोहा-
जगत जननि दुल्हन बनी,
सजी खूब बारात।
जनकपुर से हुई विदा,
आकुल तात व मात।
लेखिका का परिचय
नाम- सरिता मैन्दोला
सहायक अध्यापक, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय, गूमखाल, ब्लॉक द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।