देहरादून में 504 घरों पर बुलडोजर अभियान पर विभिन्न संगठनों ने उठाए सवाल, 27 जून को होगा सचिवालय कूच
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विभिन्न सरकारी एजेंसियों की ओर से करीब 504 घरों पर चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की ओर से इसे लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आज विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने देहरादून जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर मलिन बस्तियों को बचाने, लोगों को मालिकाना हक देने, बस्तियों के लिए जारी नोटिस निरस्त करने, फुटपाथ व्यवसायियों का उत्पीड़न बंद करने, देहरादून में वैन्डर जोन घोषित करने की मांग की गई। साथ ही चेताया कि गरीबों के हित की मांग को लेकर 27 जून को सचिवालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन उपजिलाधिकारी मुख्यालय शालिनी नेगी ने लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। इसके तहत अवैध भवन चिह्नित किए गए हैं। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एमडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद नगर निगम ने सोमवार 27 मई से मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। अब बड़े पैमाने पर एमडीडीए की ओर से कार्रवाई होनी है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे प्रदर्शनकारी
इस अवसर पर सीपीएम के जिला सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू के जिला महामंत्री लेखराज, आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई, बस्ती बचाओ अभियान के नरेन्द्र सिंह, राजेन्द्र शर्मा, भीम आर्मी के आजम खान, नेताजी संघर्ष समिति के प्रभात डंडरियाल, रधुबीरसिंह, डिम्पल, रेणु, ममता,जतिन, सुनैना, मनीषा, मंजू, रीना, पिंकी, प्रेम फूल, संगीता, सोनी, विनोद, हरिओम, सोनू के अलावा सपा, जनवादी महिला समिति, एस एफआई से जुड़े लोग उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन के बिंदु
राजधानी देहरादून में पिछले डेढ़ महीने से गरीबों को बेघर करने के खिलाफ चलाये अभियान के तहत राज्य के ट्रेड यूनियन, जन संगठन और विपक्षी दल लगातार सरकार के मंत्रियों के संज्ञान में कुछ गंभीर समस्याओं को लाने की कोशिश करते रहे हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि अब MDDA 240 से ज्यादा परिवारों को बेघर करने का अभियान शुरू करने वाला है, जो कि गैर कानूनी, अन्यायपूर्ण और जन विरोधी है तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के विपरीत है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-अतिक्रमण अभियान या फिर एनजीटी के फैसले के तहत किसी भी बड़े बिल्डर, होटल या सरकारी विभाग पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। यह एनजीटी के आदेश की सरासर अवहेलना है। इसी की आड़ में केवल गरीब बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-आपकी सरकार ने 2018 में कानून लाकर वायदा किया था कि 2021 तक सभी बस्तियों को मालिकाना हक मिलेगा। पीएम मोदी का वायदा था कि 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा। पुनः नवनिर्वाचित केन्द्र सरकार फिर से 3 करोड़ घर देने का ऐलान कर चुकी है। वहीं, उत्तराखंड में इसके उलट किया जा रहा है। इस स्थिति में मज़दूर वर्ग के परिवार कहाँ रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-कोर्ट में प्रशासन के अधिकारी निरन्तर घोर लापरवाही करते रहे हैं। एक अप्रैल 2024 को एक सुनवाई में हाज़िर तक नहीं हुए और फिर हरित प्राधिकरण से ऐसा आदेश आया, जिसके बहाने लोगों को उजाड़ने की एकपक्षीय कार्यवाही की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है, लेकिन इस अभियान में कानून को ताक पर रखा गया है। अनाधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से मानक तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है। बेदखली की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है। लोगों की और से दिए गए साक्ष्य को एकतरफा निरस्त कर ध्वस्तीकरण कर उन्हें प्रताड़ित एवं अपमानित कर बेघर किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है। प्रभावित लोगों में से कई परिवार हैं, जो अनुसूचित जाति के हैं। उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC/ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत संज्ञेय अपराध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-ऐसे में निवेदन है कि सरकार अपने ही वादों के अनुसार इस अभियान पर रोक लगाकर कानून तुरन्त लाये कि किसी को बेघर नहीं किया जायेगा। बस्तियों का मालिकाना हक नियमितीकरण या पुनर्वास कै लिऐ युद्धस्तर पर कदम उठाने को सरकार अपनी प्राथमिकता बनाये। साथ ही पर्यावरण और उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों पर शक्ति से कार्रवाई की जाए। रिस्पना, बिंदाल एलिवेटेड रोड जैसे बेज़रूरत, जन विरोधी एवं पर्यावरण विरोधी परियोजनाओं पर तुरंत रोक लगायी जाए।
-साथ ही रेहड़ी, पटरी, फुटपाथ में व्यापार करने वाले लोगों का उत्पीड़न को बंद किया जाए। इनके लिए शहर में वेंडर जोन घोषित किए जाएं।
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