मलिन बस्तियों में बेदखली के खिलाफ और रेहड़ी, पटरी वालों को न्याय दिलाने के लिए विभिन्न संगठन मुखर
मलिन बस्तियों में रहने वालों को मालिकाना हक देने और उन्हें ना उजाड़ने की मांग को लेकर मजदूर संगठनों ने आवाज उठाई। वहीं, सीपीएम ने रेहड़ी, पटरी व्यावसाइयों की समस्याओं को लेकर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही आमजन से जुड़े सवालों पर न्याय की मांग की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मज़दूर संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने नगर निगम में उप नगर आयुक्त से मुलाकात की और देहरादून शहर की मलिन बस्तियों में हो रही बेदखली प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाये। संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि न्यायलय के आदेश सारे अतिक्रमण और प्रदूषण के स्रोतों को लेकर है। बड़े होटल, रिसोर्ट, सरकारी विभाग और निजी इमारत नदियों में बसे हैं। इसके बावजूद सिर्फ मज़दूर बस्तियों को क्यों उजाड़ा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अतिरिक्त जनता को सिर्फ सात दिन का नोटिस देना, उनको सुनवाई के लिए मौका न देना, उनको हटने के लिए समय भी एक माह का नहीं देना, ये सब कदम गैर क़ानूनी है। उन्होंने नगर निगम से निवेदन किया कि जब नियमितीकरण एवं घर देना सरकार का क़ानूनी एवं संवैधानिक फर्ज है, तो उनको कोर्ट के सामने पूरी क़ानूनी तस्वीर को रखना चाहिए। जिसके अंतर्गत 2016 का मलिन बस्ती कानून के प्रावधान भी हैं और मज़दूरों का आश्रय का अधिकार भी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उप नगर आयुक्त ने कहा कि इन बातों पर विभाग विचार करेंगे और कोशिश करेंगे कि किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। प्रतिनिधिमंडल में एआईटीयूसी (AITUC) के राज्य उपाध्यक्ष समर भंडारी, राज्य सचिव अशोक शर्मा, सीटू (CITU) के राज्य सचिव लेखराज, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रेहड़ी पटरी तथा फुटपाथ व्यवसायियों के उत्पीड़न के खिलाफ, अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को हटाने, गरीब बस्तियों को हटाने कि तैयारी के विरोध में सीपीएम नेताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन अतिरिक्त जिलाधिकारी (प्रशासन) जय भारत को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद पहले बिजली दरों में बढ़ोतरी कर दी गई। इसके बाद अब हाइकोर्ट के दिशानिर्देशों की आड़ में रेहड़ी, पटरी, लघु व्यवसायियों को उनके रोजगार को खत्म करने, गरीबों को उजाड़ने की तैयारी की जा रही है। आरोप लगाया कि सरकार एवं प्रशासन इस आड़ में गरीबों को निशाना बनाकर उनसे रोजी रोटी छीन रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीपीएम नेताओं ने कहा कि गरीब से आशियाना छीनने की तैयारी चल रही है। वहीं, वास्तविक अतिक्रमणकारियों को बचाया जा रहा है। यही नहीं जहाँ गरीब लोग बसे हैं, वहीं की भूमि को बड़ी निजी कम्पनियों को देने की तैयारी चल रही है। सरकार की नजर कैन्ट बोर्ड की भूमि पर भी है। इसलिए सरकार सुविधाएं देने की आड़ में इसे नगर निगम में मिलाना चाहती है। इसका चारों तरफ विरोध हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ज्ञापन में कहा गया कि सरकार की नीतियों ने अब तक साबित किया है कि सभी कार्य बड़े घरानों के हितों की पूर्ति के लिए किए जा रहे हैं। मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के खिलाफ रेहड़ी पटरी तथा फुटपाथ व्यवसायियों को हटाना तत्काल बन्द किया जाए। साथ ही अतिक्रमण हटाने की आड़ में गरीबों को उजाड़ने की कार्रवाई पर अविलम्ब रोक लगाई जाए। प्रतिधिमण्डल में सीपीएम के जिलासचिव राजेन्द्र पुरोहित, देहरादून सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू के जिलाध्यक्ष किशन गुनियाल, भीम आर्मी के अध्यक्ष आजम खान आदि शामिल थे।
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