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December 16, 2024

ग्राफिक एरा में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बही काव्य की धारा, डॉ विष्णु सक्सेना को काव्य गौरव सम्मान

देहरादून में ग्राफिक एरा के 21वें अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य की ऐसी धारा बह निकली कि श्रोता भाव विभोर हो उठे। कवि सम्मेलन में सामाजिक और राजनीतिक हालात को कवियों ने अपने खास अंदाज में उठाया और बार बार लोगों को हंसने खिलखिलाने पर मजबूर कर दिया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा का काव्य गौरव सम्मान डॉ विष्णु सक्सेना को दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के खचाखच भरे सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस कवि सम्मेलन का उद्घाटन ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने कवियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके किया। प्रख्यात कवि डॉ विष्णु सक्सेना ने सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का श्रीगणेश किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कवि चिराग जैन ने रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े किस्से सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट करते हुए कवि सम्मेलन को आगे बढ़ाया। कवि चिराग जैन की कविता बहुत पसंद की गई- त्याग दी हर कामना, निष्काम बनने के लिए, तीन पहरों तक तपा दिन, शाम बनने के लिए, घर नगर परिवार ममता प्रेम अपनापन, दुलार, राम ने खोया बहुत “श्रीराम” बनने के लिए…। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

चिराग जैन ने मीडिया पर भी तीखा तंज कंसते हुए सुनाया- एक रात एक न्यूज़ चैनल स्पीड की सारी हदें पार कर गया, न्यूज एंकर ने मेरे टीवी पर मुझे ही बताया कि मैं मर गया, नेशनल चैनल की न्यूज़ थी, इसलिए संदेह भी नहीं कर सकता था, और मीडिया का इतना सम्मान करता हूँ कि इस ख़बर को सच साबित करने के लिए मैं सचमुच मर सकता था…। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए विख्यात कवि डॉ प्रवीण शुक्ल ने अपने खास अंदाज और रोचक टिप्पणियों से श्रोताओं को बहुत हंसाया। उनकी कविता पर बार बार तालियां बजीं- सारे दीन, दुखियों के राम साथ-साथ हैं, माता-पिता, गुरु को नवाते रोज माथ हैं, सृष्टि के नियंता और काल के भी पार हैं, राम जी ही दिन और राम जी ही रात हैं, ये कहते चंदा तारे, हमारे राम पधारे, अयोध्या धाम पधारे…। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ विष्णु सक्सेना की कविता – रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं, तुमने पत्थर का दिल हमको कह तो दिया, पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं… बहुत पसंद की गई। डॉ सक्सेना ने श्रोताओं के अनुरोध पर कई कविताएं सुनाईं- आंख खोली तो तुम रुक्मणी सी दिखीं, बंद की आंख तो राधिका तुम लगीं, जब भी देखा तुम्हें शांत एकांत में मीराबाई सी इक साधिका तुम लगीं…। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कवि डॉ कलीम कैसर भी खूब जमे- ये तुम भी देखना व्यभिचारी शासन हार जाएगा, हमारे राम जी से फिर ये रावण हार जायेगा, समर्पण की कोई तुलना नहीं उस प्रेम जोगन के, इसी इक बिंदु पर राधा से मोहन हार जाएगा…। कवि सुदीप भोला ने भी राम मंदिर पर कविता सुनाई- बन गया मंदिर परमानेंट, वहीं बना है जहां लगा था राम लला का टेंट, कारसेवकों ने दिखलाया था अपना टैलेंट, राम लला क़सम निभा दी हमने सौ परसेंट…। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मुम्बई से आये प्रताप फौजदार ने भी श्रोताओं को खूब हंसाया। अपने खास अंदाज में प्रस्तुत उनकी रचनाएं – मैंने तरबूज कंधे पर उठाया, अंग्रेज चौंका और फ़रमाया, ये फल नया है ये क्या है, मैंने कहा, हमारा जो भी काम है भरपूर है, अंग्रेज ध्यान से देख, यह हमारे देश का अंगूर है … और वफ़ा ईमान की बातें किताबों में ही मिलती हैं, भरोसा रोज मिलता है भरोसा रोज डसता है, ज़मीं वो अन्न पैदा कर वफ़ा जो खून मे बोले, भगत सिंह जैसे बेटे को वतन अब भी तरसता है… काफी पसंद की गईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कवि सम्मेलन में ग्राफिक एरा का काव्य गौरव सम्मान डॉ विष्णु सक्सेना को दिया गया। चेयरमैन डॉ कमल घनशाला, ग्राफिक एरा एजुकेशनल सोसायटी की अध्यक्ष लक्ष्मी घनशाला और ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की वाइस चेयरपर्सन राखी घनशाला ने डॉ सक्सेना को इस पुरस्कार के रूप में डेढ़ लाख रुपये का चैक सौंपकर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन में प्रो चांसलर डॉ राकेश कुमार शर्मा, कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह, कुलपति डॉ संजय जसोला, शहर के गणमान्य व्यक्ति और पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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