भारत में कोरोना से जान गंवाने वालों मे 88 फीसद लोगों की उम्र 45 साल से अधिक
भारत में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा लोग 45 साल से अधिक आयु वर्ग के हैं। 45 साल या इससे अधिक उम्र वालों के मरने का प्रतिशत 88 फीसद है।
भारत में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा लोग 45 साल से अधिक आयु वर्ग के हैं। 45 साल या इससे अधिक उम्र वालों के मरने का प्रतिशत 88 फीसद है। इसीलिए केंद्र ने एक अप्रैल से 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगाने की घोषणा की है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में कोविड-19 के कारण हो रही मौतों में से करीब 88 प्रतिशत 45 साल या उससे अधिक आयु वर्ग में हो रही हैं। ऐसे में ये लोग सबसे ज्यादा जोखिम के दायरे में हैं, जिन्हें बचाने की जरूरत है।
भूषण ने कहा कि यही वजह है कि एक अप्रैल से इस आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण को मंजूरी दी गई है। भूषण ने कहा कि हमने मामलों में वृद्धि से निपटने संबंधी रणनीति पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र और पंजाब के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। उन्होंने कहा कि कुछ अन्य राज्य भी हैं जिन्हें लेकर चिंता है। इनमें गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और चंडीगढ़ शामिल हैं। भूषण ने टीकाकरण के बारे में कहा कि बुधवार सुबह दस बजे तक कोविड रोधी टीके की 5,08,41,286 खुराक दी जा चुकी हैं।
कोरोना वायरस के नए स्वरूपों के बारे में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक एस के सिंह ने कहा कि 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले 10,787 संक्रमित नमूनों में से 771 मामले वायरस के चिंताजनक स्वरूप (वीओसी) के सामने आए हैं। इनमें 736 नमूने वायरस के ब्रिटिश स्वरूप के मिले। सिंह ने कहा कि अब तक ऐसा कोई संबंध नहीं मिला है जिससे यह स्थापित हो कि कुछ राज्यों में संक्रमण के मामलों में हुई बढ़ोतरी सिर्फ इन स्वरूपों से सीधे तौर पर संबंधित है।
सिंह ने कहा कि जिन राज्यों में जोखिम के दायरे वाले लोगों की बड़ी आबादी है, वहां मामलों के बढ़ने की आशंका ज्यादा है। जब भी जोखिम के ज्यादा दायरे में आने वाले लोग सतर्कता में कमी करेंगे और कोविड अनुकूल आचरण नहीं अपनाएंगे तो उनके संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहेगी। फिर चाहे वह सामान्य विषाणु हो या उसका कोई स्वरूप।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विषाणु के केवल तीन ही चिंताजनक स्वरूप (वीओसी) हैं जो ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले। इसके अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कुछ राज्यों में दोहरे उत्परिवर्तन वाला अन्य स्वरूप भी मिला है, जिसका आगे विश्लेषण और जांच किए जाने की आवश्यकता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।