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November 22, 2024

मणिपुर हिंसा में 54 लोगों की मौत, 13 हजार से ज्यादा हुए बेघर, याद कीजिए अमित शाह का बयान- कांग्रेस की सरकार में होते हैं दंगे

एक बार फिर से मणिपुर हिंसा के समाचार को लिखने से पहले हम गृह मंत्री के उस बयान की याद दिलाना चाहते हैं, जो उन्होंने दंगों और हिंसा के संबंध में कहा था। हिंसा या दंगा किस सरकार के कार्यकाल में हो जाए, इसे लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती हैं। क्योंकि कई बार परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि सरकारों को भविष्य में घटनाएं घटित होने से पहले आभास तक नहीं हो पाता है। मणिपुर में हिंसा के चलते कई जिलों में कर्फ्यू है। हालात संभालने के लिए सेना को तैनात किया गया है। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। ऐसे में कर्नाटक के चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह का बयान भी अब सोशल मीडिया में वायरल होने लगा है। इसमें अमित शाह ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो राज्य में सांप्रदायिक दंगे होंगे। यहां से भी बताना जरूरी है कि मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब तक 54 लोगों की मौत
मणिपुर में इस हफ्ते भड़की हिंसा अब धीरे-धीरे शांत हो रही है। राज्य में सेना-असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की तैनाती के बाद से हालात सुधरे हैं। इस बीच मणिपुर सरकार ने हिंसा में जान गंवाने वालों का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया है। बताया गया है कि अलग-अलग हिंसा की घटनाओं में 54 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, अनाधिकारिक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा बताया गया है। मणिपुर की इंफाल घाटी में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की मौजूदगी के बीच शुक्रवार को हिंसा की छिटपुट घटनाओं के साथ स्थिति आम तौर पर शांत रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

13 हजार से ज्यादा लोग हुए बेघर
राज्य में पिछले 48 घंटों के दौरान हुई हिंसा पर काबू पाने एवं शांति कायम करने के लिए पड़ोसी राज्यों से सड़क और हवाई मार्ग से अधिक बल भेजे गए हैं। एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि कुल 13,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। कुछ लोगों को सेना के शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है जबकि सेना ने चुराचांदपुर, मोरेह, काकचिंग और कांगपोकपी जिलों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। यहां ये भी बताना जरूरी है कि हिंसा और आगजनी में लोगों के घर आग के हवाले कर दिए गए हैं। इससे बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। अब उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुर्दाघरों में लगे लाशों के ढेर
मणिपुर में हिंसा की चपेट में आकर अब तक 54 लोगों की जान जा चुकी है। पीटीआई ने बताया कि 54 मृतकों में 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इम्फाल ईस्ट के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं। इसके अलावा इंफाल पश्चिम के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की पुष्टि की है। हालात पर काबू पान के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 सैनिकों को राज्य में तैनात किया गया है। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प में कई लोग मारे गए हैं। वहीं 100 से अधिक लोगों के जख्मी होने की खबर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

पहले छिपाई जा रही थी जानकारी
मणिपुर हिंसा की जानकारी भी छिपाई जा रही थी। जब हालात सामान्य होने लगे तब मौतों की जानकारी मिल रही है। हालांकि, अभी भी पुलिस मौतों की पुष्टि करने को तैयार नहीं थी। बताया गया कि ये शव इंफाल पूर्व और पश्चिम, चुराचांदपुर और बिशेनपुर जैसे जिलों से लाए गए थे। वहीं गोली लगने से घायल कई लोगों का इलाज रिम्स और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में भी चल रहा है। मणिपुर में हिंसा में नियंत्रण पाने के लिए सेना की अधिक टुकड़ियों, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय पुलिस बलों को भेजा गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब कर रहे हैं मौत का खुलासा
अधिकारियों ने कहा कि मणिपुर नरसंहार में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। हालांकि अनौपचारिक सूत्रों ने इस आंकड़े को कई अंकों में रखा है। इंफाल घाटी में शनिवार को दुकानें और बाजार फिर से खुलने और सड़कों पर कारों के चलने से जनजीवन सामान्य हो गया है। सेना की अधिक टुकड़ियों, रैपिड एक्शन फोर्स, और केंद्रीय पुलिस बलों की उड़ान से मजबूत हुई सुरक्षा उपस्थिति सभी प्रमुख क्षेत्रों और सड़कों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है मामला
गैर-आदिवासी मेइती समुदाय को एसटी के दर्जे की मांग के खिलाफ ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर ने आदिवासी एकजुटता मार्च बुधवार को निकाला था, लेकिन इस दौरान हिंसा भड़क गई थी। बता दें कि हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मेइती समुदाय को एसटी दर्जे की मांग पर चार हफ्ते के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था। इसी को लेकर मार्च का आयोजन किया गया था।
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