जनसंख्या नियंत्रण कानून की पैरवी करने वाली यूपी सरकार के 50 फीसद बीजेपी विधायकों के हैं तीन से आठ बच्चे, विधानसभा में भी लागू हो कानून
जनसंख्या नियंत्रण कानून की पैरवी करने वाली यूपी में बीजेपी के 304 विधायकों में से 152 के तीन से लेकर 8 बच्चे तक हैं।

जनसंख्या नियंत्रण कानून की पैरवी करने वाली यूपी में बीजेपी के 304 विधायकों में से 152 के तीन से लेकर 8 बच्चे तक हैं। दूसरों को नसीहत और अपनी फजीहत वाली कहावत देखनी है तो 8 बच्चों के पिता बीजेपी के सहयोगी अपना दल के विधायक हरिराम को ही देख लीजिए। विश्व जनसंख्या दिवस पर ट्वीट कर लोगों को कम बच्चे पैदा करने की नसीहत भी दी है। छह बच्चों के पिता विधायक रत्नाकर मिश्रा कहते हैं कि 5 बीवी, 25 बच्चे अब नहीं चलेगा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की एक MLA ऐसी भी हैं, जिन्होंने छह बेटियों को जन्म दिया फिर आखिर में अजमेर शरीफ में मन्नत मांगने के बाद बेटा हुआ।
यूपी में लॉ कमीशन ने दो बच्चे के कानून का ड्राफ्ट बनाया है, उसमें दो से ज्यादा बच्चे वालों को सरकारी सुविधाओं न देने और पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक की बात है। नानपारा विधानसभा की बीजेपी विधायक माधुरी वर्मा को 6 बेटियां हुईं, लड़के की चाह में वे मन्नत मांगने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह अजमेर पहुंचीं। उन्हें सातवीं संतान के रूप में लड़का हुआ। ख्वाजा से खुश होके उन्होंने उसका नाम अजमेरी वर्मा रखा है।
यूपी बिहार सरहद पर पहाड़, जंगल औरनदियों-झरनों ने घिरे सोनभद्र की दुधी (Duddhi) सीट से बीजेपी के सहयोगी अपना दल के एमएलए, 51 वर्षीय हरिराम हैं। विधानसभा की वेबसाइट कहती है कि उनके 8 बच्चे हैं-चार बेटे और इतनी ही बेटियां। वहीं, विश्व जनसंख्या दिवसपर उन्होंने भी दूसरों से अपील की कि कम बच्चे पैदा करें। उन्होंने लिखा-आइए विश्व जनसंख्या दिवस पर हम एक जिम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं और सभी को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरुक करें।
यूपी विधानसभा की वेबसाइट से पता चला कि बीजेपी के 304 विधायकों में से 152 विधायकों के तीन से आठ बच्चे हैं। एक विधायक के आठ, आठ विधायकों के छह, 15 विधायकों के पांच, 43 विधायकों के चार, 84 विधायकों के तीन, 102 विधायकों के दो और 35 विधायकों का एक बच्चा है। 15 विधायकों के बच्चे नहीं हैं, इसमें कई शादीशुदा नहीं हैं।
आमतौर पर पुराने लोगों को ज्यादा बच्चे हैं, क्योंकि तब परिवार नियोजन की सोच कम थी। अब तो खुद कई बच्चों वाले राजनीति के लिए दूसरों को निशाना बना रहे हैं। मिर्जापुर के बीजेपी विधायक रत्नाकर मिश्रा के छह बच्चे है, लेकिन वे इसके खिलाफ है कि दूसरे ज्यादा बच्चे पैदा करें। वे फौरन दो बच्चों का कानून चाहते हैं। वे कहते हैं कि हमारा यही मानना है कि जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, इसका हम लोगों को पालन करना चाहिए। हम दो, हमारे दो…अब यह होना चाहिए।
चित्रकूट के विधायक और पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय के चार बच्चे हैं। दो बेटे और दो बेटियां। वह भी कानून के हिमायती हैं। वे कहते हैं कि निश्चित रूप से जनसंख्या नियंत्रण पर कानून भी बनना चाहिए और यह प्रभावी ढंग से लागू भी होना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि आपके भी तो चार बच्चे हैं तो जवाब में बोले-मैंने कहा न कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों के लिए इसका मतलब नहीं है। पूरा देश, राष्ट्र, पूरे प्रदेश के संदर्भ में है। जिन लोगों सुविधा-असुविधा होगी तो वह इसके परिप्रेक्ष्य में सोचेगा।
मेरठ कैंट से बीजेपी विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के 6 बच्चे हैं, लेकिन वे भी दो बच्चों का कानून चाहते हैं. वे कहते हैं- दो बच्चों वाला नियम बिल्कुल सही है। फतेहपुर के खागा (Khaga) से बीजेपी विधायक कृष्ण पासवान के भी छह बच्चे हैं। यूं तो वह सरकार के हर कानून के साथ हैं, लेकिन दो बच्चों के कानून के सवाल पर सहज महसूस नहीं करते। उनसे पूछा गया कि दो बच्चों से अधिक किसी के हैं तो चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा तो उन्होंने जवाब दिया-जब यह होगा तो देखा जाएगा। अध्ययरन से पता चलता है कि गरीब और अशिक्षित लोगों में बच्चे ज्यादा हैं।
इस मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन ट्वीट किए है जिसमें लिखा है- अगर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर यूपी भाजपा सरकार थोड़ी भी गंभीर होती तो यह काम सरकार को तब ही शुरू कर देना चाहिये था जब इनकी सरकार बनी थी। फिर इस बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करती तो अब विधानसभा चुनाव के समय तक इसके नतीजे भी मिल सकते थे। मायावती ने कहा कि-यूपी व देश की जनसंख्या को जागरूक, शिक्षित व रोजगार-युक्त बनाकर उसे देश की शक्ति व सम्मान में बदलने में विफलता के कारण भाजपा अब कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार की तरह ही जोर-जबरदस्ती व अधिकतर परिवारों को दण्डित करके जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहती है। जो जनता की नजर में घोर अनुचित है।
मायावती के मुताबिक- यूपी भाजपा सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण हेतु लाया जा रहा नया बिल, इसके गुण-दोष से अधिक इस राष्ट्रीय चिन्ता के प्रति गंभीरता व इसकी टाइमिंग को लेकर सरकार की नीति व नीयत दोनों पर शक व सवाल खड़े कर रहा है, क्योंकि लोगों को इसमें गंभीरता कम व चुनावी स्वार्थ ज्यादा लग रहा है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।