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November 10, 2024

ड्यूटी के दौरान गोली लगने से 19 वर्षीय अग्निवीर शहीद, नहीं मिला सैन्य सम्मान, विरोध करने पर दिया राजकीय सम्मान

सेना के अग्निवीर जवान की मौत के बाद जब शव घर पहुंचा तो पता चला कि केद्र सरकार की नीति के तहत अग्निवीरों को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। सेना के दो जवान एंबुलेंस में शव लेकर शहीद के घर छोड़कर चले गए। जब इस जवान को सैन्य सम्मान नहीं दिया तो लोग भड़क गए। इस पर राजकीय सम्मान के साथ इस जवान का अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि, कुछ मीडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस जवान ने खुद को गोली मारी थी। इसलिए उसे गार्ड आफ आनर नहीं दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जम्मू और कश्मीर के पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में एलओसी के पास में ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी। अमृतपाल सिंह की उम्र महज 19 साल थी। अब अमृतपाल सिंह की मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। अमृतपाल का शुक्रवार को गांव कोटली कलां में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दरअसल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि, उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पंजाब के मानसा जिले के गांव कोटली कलां के महज 19 साल के अग्निवीर अमृतपाल सिंह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। ट्रेनिंग के बाद करीब डेढ़ माह पहले ही छुट्टी काटकर वह ड्यूटी पर जम्मू-कश्मीर गए थे। अमृतपाल सिंह एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से थे। सेना में भर्ती होने से पहले अमृतपाल सिंह अपने पिता के साथ खेती में उनका हाथ बंटाते थे। अमृतपाल सिंह को कंबाइन और ट्रैक्टरों का बहुत शौक था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अमृतपाल सिंह 10 दिसंबर 2022 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। 11 अक्तूबर को गोली लगने से बलिदान दिया। शहीद अमृतपाल सिंह की बहन कनाडा में रहती हैं। पिता गुरदीप सिंह ने कहा कि अमृतपाल ने अपनी भतीजी की शादी के लिए छुट्टी ली थी। कनाडा में रहने वाली बहन और अमृतपाल सिंह एक साथ घर आने वाले थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक ने लगाया ये आरोप
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक्स पर पोस्ट डालकर केद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि शहीदअग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव कोटली कलां आया। इसे दो फ़ौजी भाई प्राइवेट एंबुलेन्स से छोड़कर गए। जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है। इसलिए सलामी नहीं दी जाएंगी। फिर SSP से गांव वालो ने बात कर पुलिस से सलामी दिलवाई। उन्होंने लिखा कि ये घटना साबित करती है कि अग्निवीर इसलिए बनाएं है, ताकि शहीद का दर्जा ना दिया जाएं और फौज ख़त्म हो जाए। केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो शहीद का दर्जा नहीं दे रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस ने शहीदों का बताया अपमान
कांग्रेस ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए। वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। ये देश के शहीदों का अपमान है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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