कोरोनावायरसः ऑक्सीजन हुई कम, सिलेंडर लोडिंग में लगे पांच मिनट, 11 कोरोना मरीजों की मौत, जानिए- कब कब हुए ऐसे हादसे
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आंध्रप्रदेश में आक्सीजन की कमी के चलते 11 मरीजों की मौत हो गई। चित्तूर के सरकारी रुइया अस्पताल में सोमवार 10 मई देर रात आईसीयू के अंदर ऑक्सीजन की आपूर्ति में समस्या के कारण कम से कम 11 कोविड-19 रोगियों की मौत की सूचना है। चित्तूर के जिलाधिकारी एम हरि नारायणन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर को फिर से लोड करने में पांच मिनट लगे, जिससे आक्सीजन आपूर्ति कम होने से मरीजों की मौत हो गई।
हरि नारायणन ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पांच मिनट के भीतर बहाल हो गई और सब कुछ अब सामान्य हो गया है। इसकी वजह से हम अधिक मरीजों की मौत को रोक सके। लगभग 30 डॉक्टरों को मरीजों की देखरेख करने के लिए तुरंत आईसीयू में भेजा गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है और पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने जिला कलेक्टर से बात की और निर्देश दिया कि घटना की विस्तृत जांच की जाए। जगन ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
रुड़की में हुई थी पांच मौत
रुड़की के विनय विशाल हेल्थ केयर हॉस्पिटल में में आक्सीजन की कमी के चलते तीन मई को कोरोना से संक्रमित पांच मरीजों की मौत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन का दावा किया था कि उन्होंने रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को गत तीन मई की रात दस बजे ही इस संकट की जानकारी दे दी थी।
दो मई को कर्नाटक में हुई थी 24 मौत
कर्नाटक के चामराजनगर जिला अस्पताल में बीती दो मई की रात 24 मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया था कि ये मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई।
चामराजनगर के जिस अस्पताल में ये हादसा हुआ है, उसे बेल्लारी से ऑक्सीजन की सप्लाई होनी थी। सप्लाई में देरी हुई, जिसके बाद 24 मरीजों की मौत हो गई। हादसे के बाद मैसूर से चामराजनगर के लिए ढाई सौ ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए। बताया जा रहा है कि, जिन मरीजों ने जान गंवाई है, उनमें अधिकतर वेंटिलेटर पर थे।
पांच मौत के बाद मेरठ के अस्पताल में हुआ था हंगामा
मेरठ मेडिकल थाना क्षेत्र के न्यूटीमा हॉस्पिटल में रविवार दो मई को कोरोना के पांच मरीजों की मौत हो गई थी। दो मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने और इलाज में लापरवाही से मौत हुई हैं। इससे गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी की थी। न्यूटीमा अस्पताल में रविवार दोपहर से शाम तक अस्पताल में पांच लोगों की मौत हो गई थी। परिजनों का कहना था कि ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से मरीज तड़पने लगे और
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में हुई थी 12 की मौत
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में शनिवार 1 मई दोपहर एक डॉक्टर समेत 12 कोविड-19 मरीजों की मौत कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई। यहां भी ऑक्सीजन समाप्त हो गई थी। ऑक्सीजन रि-सप्लाई के लिए टैंकर अस्पताल में दोपहर 1.30 बजे पहुंचे। इसके कारण अस्पताल के मरीज करीब 80 मिनट तक बिना ऑक्सीजन के ही रहे। इससे ये हादसा हुआ।
दिल्ली में ही हुई थी 25 की मौत
24 अप्रैल को दिल्ली के रोहिणी के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 25 मरीजों को देर रात मौत हो गई थी। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर का कहना था कि सरकार की तरफ से अस्पताल को 3.5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉट की गई है, जिसको फिर रीफिल होना था, लेकिन देर रात रीफिल नही हुई। 23 अप्रैल की रात महज 1500 लीटर रीफिलिंग की गई थी। इसी कारण अस्पताल के पास ऑक्सीजन खत्म हो गई और 25 कोविड मरीजों की मौत हो गई।
अमृतसर में छह ने तोड़ा था दम
24 अप्रैल को ही ऑक्सीजन की कमी से अमृतसर के एक निजी अस्पताल में छह लोगों की मौत हो गई थी। फतेहगढ़ चूड़ियां बाईपास रोड स्थित नीलकंठ अस्पताल में छह लोगों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ दिया थी।
ग्वालियर में दो की मौत
24 अप्रैल को ही ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल मेंऑक्सीजन की कमी से 2 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी। 65 साल के राजकुमार बंसल और 75 साल के फुंदन हसन की ऑक्सीजन खत्म होने के बाद शिफ्टिंग की जा रही थी। इस बीच उनकी सांसें रुक गईं।
नासिक में 22 ने तोड़ा था दम
21 अप्रैल को महाराष्ट्र के नासिक में डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल के बाहर ऑक्सीजन टैंकर लीक होने से 22 लोगों ने दम तोड़ दिया था। लीकेज के कारण अस्पताल में 30 मिनट तक ऑक्सीजन सप्लाई बाधित रही। इसके कारण वेंटिलेटर पर रखे गए 22 मरीजों की मौत हो गई थी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।