नाबालिग सौतेली बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को 10 साल का कारावास, मां को जेल में बिताई अवधि की सजा
नैनीताल जिले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो अर्चना सागर की अदालत ने दुष्कर्मी पिता को दस साल के कारावास की सजा सुनाई। पिता को नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया था।
नैनीताल जिले में विशेष न्यायाधीश पाक्सो अर्चना सागर की अदालत ने दुष्कर्मी पिता को दस साल के कारावास की सजा सुनाई। पिता को नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया था। इस मामले में मां को भी दोषी ठहराते हुए जेल में बिताई गई अवधि की सजा सुनाई। दोनों पर जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही पीड़िता को निर्भया फंड से एक लाख रुपये की सहायता दिलाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।
पीड़िता ने हल्द्वानी कोतवाली में सौतेले पिता के खिलाफ तहरीर दी थी। इसी आधार पर पुलिस ने माता पिता के खिलाफ 19 दिसंबर 2016 को 376, 376 (2), 6(2), 5/6 पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। पुलिस ने माता पिता को गिरफ्तार किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों को पेश किया। अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता को एक लाख रुपये की सहायता दिलाने के लिए जिला विधिक प्राधिकरण को पत्र भेजने का आदेश भी दिया है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक मूल रूप से बिंदुखत्ता निवासी होर्डिंग ठेकेदार मल्ला गोरखपुर में किराये पर रहता था। उसने एक महिला से विवाह किया था। महिला तलाकशुदा थी और उसकी एक बेटी भी थी। डेढ़ साल से कक्षा सात में पढ़ने तक महिला ने बेटी को इलाहाबाद स्थित मायके में रखा। 2011 में वह किशोरी को हल्द्वानी ले आई और शहर के एक सरकारी स्कूल में आठवीं में दाखिला दिलाया।
नवीं कक्षा में पढ़ाई के समय बेटी की उम्र 13 साल की थी। बताया गया कि कुछ दिनों के लिए मां दिल्ली चली गई। आरोप है कि इस बीच सौतेले पिता ने बेटी के साथ मारपीट कर तीन बार संबंध बनाए। मां जब दिल्ली से लौटकर आई तो उसने मां को कुछ नहीं बताया। बेटी को मां पर भरोसा नहीं था। परिवार 2015 से अप्रैल 2016 तक किराए के मकान में रह रहा था। इस घटना के बाद पिता ने मकान बदल दिया और पड़ोस के मकान में किराए का कमरा लेकर रहने लगा।
एक दिन पीड़िता ने पड़ोसी भगवती के बेटे कौशिक को आपबीती बताई। कौशिक उसे लेकर दिल्ली गया और एक पीजी में रख दिया। इस मामले में कौशिक के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस मुकदमे की खारिज कर दिया। इसके बाद कौशिक ने पीड़िता को अपने रिश्तेदार के घर रख दिया। 2016 में भगवती पीड़िता को लेकर हल्द्वानी आई। यहां एक एनजीओ की मदद से उसकी काउंसलिंग की गई।
पीड़िता को कुछ महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलवाया। सामाजिक कार्यकर्ताओं के मनोबल बढ़ने पर किशोरी ने 19 दिसंबर 2016 को कोतवाली में सौतेले पिता, मां के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। मंगलवार को न्यायालय ने अपना आदेश सुनाते हुए सौतेले पिता को दोषी पाते हुए धारा 376(2) में 10 साल कैद व 20 हजार जुर्माना, धारा 506 में दो साल कैद पांच हजार जुर्माना, धारा 323 में एक साल कैद व एक हजार रुपये जुर्माना लगाया है। वहीं मां को धारा 366क व 17 पाक्सो एक्ट में जेल में बिताई गई अवधि व पांच-पांच हजार जुर्माना व 21 पाक्सो एक्ट में छह माह कैद व एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।