अखिल भारतीय मांग दिवस पर देहरादून में आंगनवाडी कार्यकत्रियों ने किया प्रदर्शन

इस अवसर पर सीटू के महामंत्री लेखराज ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका 1975 से एकीकृत बाल विकास योजना स्कीम के तहत देश के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौती बच्चों के कुपोषण का सामना करते हुए देश की सेवा कर रहे हैं। आज हम स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की उपेक्षा की जा रही है। समाज के हाशिए में महिलाएं हैं। ना ही लाभार्थियों में से कम उम्र के 8 करोड बच्चों और 2 करोड़ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह उत्सव मनाने का है। भारत के संविधान में गारंटीकृत हमारे अधिकारों पर अपनी आवाज उठाने का एक अवसर है।
इस अवसर पर यूनियन की प्रांतीय अध्यक्ष जानकी चौहान ने कहा कि आईसीडीएस योजना लंबे समय से धन अभाव से जूझ रही है। दुर्भाग्य से मोदी सरकार ने तो ऐसे उपाय किए हैं, जो बाल विकास को खत्म ही कर देंगे। भारत के संविधान द्वारा गारंटी के बच्चों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के सभी बुनियादी अधिकारों को कम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय सेवा की है। सेकड़ो वर्करों की जान जा चुकी है, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक कोई जोखिम भत्ता तक उन लोगों के आश्रितों को मुआवजे के रूप में नहीं दिया। अलग-अलग राज्यों में मजदूरों की मजदूरी 51 सौ रुपए से लेकर 18000 रुपए प्रतिमाह तक है। वहीं, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को न्यूनतम वेतन भी नहीं जाता है।
इस अवसर पर प्रांतीय महामन्त्री चित्रकला ने कहा कि उत्तराखंड में राज्य सरकार ने चुनाव से पहले महिलाओं को मानदेय वृद्धि का एक झुनझुना पकड़ाया है। उन्होंने कहा कि जनवरी माह से आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को मानदेय तक नहीं दिया गया है।यहां तक की जो भवन किराया है, वह भी नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल 2022 को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को कार्यकर्ता के रूप में माना जाना चाहिए। साथ ही कहा कि उन्हें अधिनियम 1972 के तहत ग्रेज्युटी का भुगतान किया जाना चाहिए। इसे उत्तराखंड सरकार को तत्काल लागू करना चाहिए।
इस अवसर पर जिला अध्यक्ष ज्योतिका पांडेय ने कहा कि भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी 45 वे और 40 में भारतीय श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करें। ग्रेजुएटी संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने और बेहतर वर्किंग कंडीशन के लिए तत्काल उपाय करें। न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करें और इससे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ें। जो एएसआईपीएफ और ग्रेजुएटी सहित पेंशन और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाले मोबाइल फोन उपलब्ध करवाए जाएं। साथ ही चरणबद्ध तरीके से टेबलेट प्रस्तावित किया जाए। आईसीडीएस के लिए बजट आवंटन सुनिश्चित करें। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस अवसर पर सीटू के जिला उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, कोषाध्यक्ष रविन्द्र नौढियाल, ज्योति वाला, विष्णु राणा, रेखा रावत, आशा नेगी, अनुराधा, नीलम, गुलनाज, कमलेश, ममता, गीता पाल, किरण, मीना, रजनी, सविता देवी, सरिता कश्यप, मुन्नी, शीलू सैनी, ललिता चौधरी, मीनू, रजनी गुलेरिया, उर्मिला, भाग्यश्री शर्मा, सावित्री, गीता, सत्यवती आदि बड़ी संख्या में कार्यकत्री सेविका उपस्थित थे।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।