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November 8, 2024

एसजीआरआर में पारंपरिक चिकित्सा और योग पर यूथ सम्मेलन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एम्स में कार्यशाला

यूथ 20 इवेंट्स श्रंखला के अंतर्गत ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टिट्यूट ( एम्स) ऋषिकेश और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के इनोवेशन एवं इन्कुवेशन केंद्र (आईआईसी) के संयुक्त तत्वावधान में पारंपरिक चिकित्सा और योग के माध्यम से पूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर एक दिवसीय यूथ 20 सम्मेलन का आयोजन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सम्मेलन में एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ डॉक्टर संतोष कुमार, एम्स दिल्ली के न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर दीपक जोशी, श्री महंत इंद्रेश अस्पताल के कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज गर्ग और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के योग विभाग के डॉ.अनिल थपलियाल बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति महंत देवेंद्र दास महाराज ने सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोजन समिति की प्रशंसा की व उन्हें शुभकामनाएं दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सम्मेलन का शुभारंभ एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर यशवीर दीवान ,कुलसचिव डॉ. अजय कुमार खंडूरी, डायरेक्टर एकेडमिक डॉ. कुमुद सकलानी, डीन एकेडमिक मालविका कांडपाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर योग विभाग द्वारा सरस्वती वंदना और योग पर आधारित संगीतमय प्रस्तुति दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर इनोवेशन एवं इन्कुवेशन केंद्र (आईआईसी) के निदेशक प्रोफेसर द्वारिका प्रसाद मैठाणी ने कहा कि पारंपरिक औषधियों का आज के समय में महत्वपूर्ण योगदान है । हम ईश्वर की रचना हैं और ईश्वर के वरदान के तहत हमें अपने हर कार्य करने चाहिए। साथ ही हमें पारंपरिक औषधियों, श्रीअन्न को भी अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

कार्यक्रम एम्स ऋषिकेश के डॉ. संतोष कुमार ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि यूथ 20 उनका दिन है, लिहाजा उन्हें मन, मस्तिष्क और शरीर के संतुलन को बनाए रखना चाहिए जिससे उनकी दिनचर्या के सभी कार्य आसानी से हो सकें। डॉ. पंकज गर्ग ने उपस्थित युवाओं को कैंसर के कारण, कैंसर के प्रभाव और कैंसर से बचाव पर रचनात्मक तरीके से जागरूक किया । उन्होंने कैंसर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि यह किस प्रकार देश में भयावह रूप ले चुका है और उन्होंने युवाओं को बताया कि वह किस प्रकार से इससे बच सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. दीपक जोशी ने मानसिक योग विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शरीर को किस तरह से विभिन्न प्रकार के डिसऑर्डर से बचाया जा सकता है। अपनी न्यूरोलॉजी को कैसे समझा जा सकता है इस पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. अनिल थपलियाल ने प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं को प्रकृति प्रदत उपहारों से स्वास्थ्य लाभ लेने की प्रेरणा दी व मानसिक तनाव से बचने के लिए ध्यान का अभ्यास कराया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सम्मेलन का संचालन स्कूल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड साइंस की छात्रा वंशिका गैरोला , कृति सैनी , सुषमा और प्रियंका ने किया। सम्मेलन के प्रमुख समन्वयक डॉ. पंकज चमोली रहे। सम्मेलन में प्रोफेसर द्वारिका प्रसाद मैठाणी, डॉ. कुमुद सकलानी, डॉ. मालविका कांडपाल, डॉ. संतोष सिंह, डॉक्टर कंचन जोशी, डॉ. सविता पाटिल के साथ सैकड़ों छात्र मौजूद रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

स्वास्थ्य देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका अहम
एम्स ऋषिकेश ने “स्वास्थ्य देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)” पर अपनी तरह की पहली कार्यशाला का आयोजन किया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह, डीन एकेडमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी और डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सेना (डीन रिसर्च) के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जनरल मेडिसिन विभाग के नोडल कॉर्डिनेटर एआई, सीओई डॉ. प्रसन कुमार पांडा (चिकित्सा विभाग), नोडल कॉर्डिनेटर, एआई, सीओई ने संचालन में आयोजित कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रतिभागियों के साथ हाइब्रिड पैटर्न में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में फैकल्टी, सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट, इंजीनियर, नर्स और छात्रों सहित लगभग 100 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। जहां एआई के तकनीकी पहलुओं पर प्रोफेसर डॉ. दुर्गा तोशनीवाल प्रमुख, मेफ्ता स्कूल ऑफ डेटा साइंस, आईआईटी रुड़की और श्री मुकुल के नेतृत्व में वाधवानी एआई लिमिटेड की एक टीम ने विस्तृत चर्चा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वहीं न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने नैदानिक पहलुओं पर व्याख्यान दिया। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी से डॉ. आनंद शर्मा और डॉ. आशीष भूते (सदस्य सचिव, संस्थान आचार समिति, एम्स ऋषिकेश) द्वारा नैतिक पहलुओं पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव बुद्धि की कंप्यूटर उपयोगिता है। बाजार में विभिन्न प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के तौर-तरीके मौजूद हैं हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र में उनका उपयोग अभी तक आशानुरूप नहीं है। यहां तक कि एक छोटी सी त्रुटि भी रोगी के जीवन को खतरे में डाल सकती है, इसलिए इसका पूरी तरह से उपयोग करने से पहले हमें सत्यापन के लिए भारतीय डेटा की आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

वक्ताओं और प्रतिभागियों ने एआई के व्यवसायिक क्षेत्र में उन क्षेत्रों पर चर्चा की जहां यह अधिक मददगार हो सकता है। कहा गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लक्षणों के आधार पर अनुमानित निदान करके, छवियों के आधार पर निदान करके और उपचार के संबंध में निर्णय लेने में रोगी के ट्राइएजिंग में मदद कर सकता है। वक्ताओं ने कहा कि एआई एक चिकित्सक को कुशलता से रोगी की देखभाल करने, रोग का निदान करने और समय पर इसका इलाज करने में सहायता कर सकता है। यह एआई उपयोगकर्ताओं द्वारा किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से खोजे गए डेटा के आधार पर महामारी की घटना की भविष्यवाणी करने में उपयोगी हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस बात पर भी जोर दिया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस( एआई) डॉक्टर या स्वास्थ्य प्रणाली की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह स्पष्टरूप से उन्हें बेहतर बना सकता है। एआई में पैटर्न को पहचानने की क्षमता है, जिसे करना मानव मस्तिष्क के लिए मुश्किल है या इसमें बहुत लंबा समय लगेगा। एआई समय की जरूरत है और एम्स ऋषिकेश ने स्वास्थ्य देखभाल में एआई के क्षेत्र में काम करने के लिए आईआईटी रुड़की और वाधवानी टीमों के साथ सहयोग करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है। कार्यशाला इस तथ्य पर जोर दिया गया कि एआई समय की आवश्यकता है और इसलिए इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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