युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-मैं ज़िंदगी कहूँ तो तुम..

मैं ज़िंदगी कहूँ तो तुम..
तुम्हे ही पुकारा गया, ये बात समझना।
मैं खुशी कहूँ तो तुम….
तुम्हे देखने की आरजू है ये बात समझना।
मैं सुकून कहूँ तो तुम…
एक मंज़िल की तरफ जाते हम दोनों के कदम समझना।
मैं रात कहूँ तो तुम…
मेरा हर ख्वाब हो ये बात समझना।
मैं दिन कहूँ तो तुम…
खुदको को मेरा उजाला समझना।
मैं हसरत कहूँ तो तुम…
मेरे हाथों में खुद का हाथ समझना।
मैं विश्वास कहूँ तो तुम ….
मेरा साथ समझना।
मैं फिक्र कहूँ तो तुम…
खुदको मेरा हर ख्याल समझना।
मैं प्यार कहूँ तो तुम….
खुद को मेरे दिल का हकदार समझना।
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।