युवा कवयित्री अंजली चन्द की कविता-बिन कहे वो इतना कुछ कह गया

निशब्द सा मुझे कर गया!
उसका मोन हो जाना ना जाने,
मुझको तोड़ गया या मजबूत कर गया!
साथ बिताए तेरे वो पल
खुदा की मेहरबानी यूँ बरस गयी,
तेरे संग रहने के बहाने
ढूँढ वक़्त कम लम्हे ज्यादा नाम मेरे कर गयी!
विदाई तेरी यूँ चली अपनों की संख्या चार और,
महीना सावन में कावडी मे
भीड़ हजारो की तुझको विदा कर गयी!
तूने दिल की चुभन आँखों की जलन
तो खामोशी मे छिपा ली,
मगर दर्द ख़ामोशी का तू
जैसे हल्की बातों से कानों मे मेरी जता बैठी!
लबों ने तेरे बातें हजार की थी,
ना समझने वालों ने बस वही सुना
खामोशी तेरी बस कुछ बातों में थी
समझने वालों ने पहले यहि सुना!
जिंदगी तूने छोटे से बच्चे के रूप मे बिताई,
इतना उलझा सा सफ़र था
फिर भी खुद को उलझाकर भी सुलझा सा किरदार जताई,
तू उस दुनिया से भी हमे आशीष से सहला देना,
कुछ समुद्र से गहरा एहसास लिखना था,
कुछ रात के पहर का ठहरा सा ज़ज्बात लिखना था,
जो जता सकूँ खामोशी का खोलता सैलाब लिखना था,
जिक्र मे तुझे लिख दिया,
किस्मत कुछ खफा थी,
ये तो होता ही है कौन सी पहली दफा थी!
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चन्द
निवासी – बिरिया मझौला, खटीमा, जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
लेखिका gov job की तैयारी कर रही हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।