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November 22, 2024

उत्तराखंड में बेरोजगारों के आंदोलन पर युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता-आज का युवा सड़क मे भटक रहा है

आज का युवा सड़क मे भटक रहा है,
वो अपने ही मित्र प्रशासन से पिट रहा है,
उसे अब सही राह दिखायेगा कौन?
नेतृत्व हमारा करेगा कौन?
हम अधीनता स्वीकारें भी तो कैसे?
लो कर लेते हैं गुलामी तुम्हारी,
मान लेते हैं ज़िम्मेदारी हैं कई तुम्हारी,
न्याय हमारा भी तो करना कर्तव्य है
कई बड़े बड़े फैसलों में साथ हमारे कुछ
करना दायित्व है,
एक भावनात्मक घर जैसे बन गया है
सुनो,
हँसी हमारी बनने लगी है,
घर गांव, आस-पास मे ठगी सी
निगाहें गढ़ने लगीं हैं,
मेहनत हमारी अदृश्य सी हो गयी है
ना दिखने वाली कई बीमारी पनप सी गयी है
नौजवान सालों तक कोचिंग लाइब्रेरी मे खुद को संजोकर भी
कहां जवानी मे सरकारी नौकरी पाता है,
18 की उम्र से वो जंग लड़ते लड़ते 30 का हो जाता है,
वजह एसी मे बैठा अधिकारी जो होता है
ना जाने कितने गरीबो के सपने,
जिम्मेदारियां और भविष्य 20- 25 लाख में ही खरीद लेता है,
भ्रष्टाचारी में डूबे सत्ता के हितकारी
ना युवा संग करो बेर तुम,
युवाशक्ति ही विकास की पूँजी है,
इस बात को गहराई से एक बार तो समझो तुम,
युवा बस एक हक ही तो माँगे हैं,
थोड़ी सी पारदर्शिता का ही तो न्याय मांगे हैं,
ना भारत माँ का किया अपमान
ना संविधान को ठेस पहुंचाई
बस गाँधीवादी रूप से एक स्थान मे लिया स्थान,
क्यूँ मित्र प्रशासन अवहेलना करतीं हैं,
क्यूँ संविधान में वर्णित बोलने की स्वतंत्रता को लाठियों से चुप कराती है,
एक पारदर्शिता का हक ही तो मांगा रहा है,
बस एक छोटे से बदलाव के लिए गरज़ रहा है,
ना करो लाठियों से वार हम पर,
हम पहले से छलावा का चोट खाये हुए हैं,
मगर समझ जो सको तुम भावनाओ को
हम दिल में रखकर आज सड़क पर आये हैं,
एक पेपर ही तो है
कर बिना हेर फ़ेर
तुम हक हमारे मेहनत का
हमको भी दिलवा दो ना,
जब आर्थिक सामाजिक विकास कुंजी
हाथों आपके सौंप दी,
करो दायित्व का सम्मान तुम भी,
पारदर्शिता दिखलाओ ना!
असीम दायित्व के नेतृत्व के प्रशासनिक
और राजनीतिक हितों के प्रणेता
युवा शक्ति से छलावा क्यूँ?
हम हक अपना मांगे तो ये अनुचित क्यूँ?
हम गरीब हैं ये नहीं कहेंगे
हम सक्षम हैं ये कहेंगे
तुम हमे प्रमाणित करने योग्य तो समझो,
जब देश की कई चरणों की परीक्षा एक साल में हो जाती है,
तो कैसे एक ही दिन की परीक्षा
6-7 सालों में भी पारदर्शिता से नहीं हो पाती है,
आज का युवा सड़क मे भटक रहा है,
वो अपने ही मित्र प्रशासन से पिट रहा है,
उसे अब सही राह दिखायेगा कौन?
नेतृत्व हमारा करेगा कौन?
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चंद
पता – बिरिया, मझौला, खटीमा जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड। पढ़ाई पूरी करने के बाद अब सरकारी नोकरी की तैयारी कर रही हैं।

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