एक मिनट में दौड़ना होगा 65 किलो का वजन लेकर 900 मीटर, तभी बनोगे दमकल अधिकारी, ये है उत्तराखंड, बिना वजन के विश्व रिकॉर्ड में लगा इससे ज्यादा समय

इस खबर को पढ़कर आप हैरान हो सकते हो। या फिर जो लोग अपना भविष्य सरकारी नौकरी में देख रहे हैं और उसकी तैयारी कर रहे हैं, उन्हें ये खबर परेशान करने वाली है। अब कहा जा रहा है कि टाइपिंग त्रुटि हो गई। मोटा वेतन लेने वाले भी यदि क्रास चेकिंग नहीं करेंगे तो फिर उनके काम में भी सवाल उठेगा। खबर ये है कि उत्तराखंड में दमकल अधिकारी बनने का ऐसा अनोखा नियम बनाया गया, जिसके लिे वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है नई नियमावली
उत्तराखंड में दमकल अधिकारी की की नई भर्ती नियमावली में कुछ ऐसा ही है। उटपटांग नियम अब युवाओं और सोशल मीडिया पर चर्चा का बड़ा विषय बन गए हैं। कारण ये है कि अग्निशमन अधिकारी द्वितीय पद के लिए तय किया गया ऐसा शारीरिक मानक है, जिसे आज तक कोई भारतीय पूरा नहीं कर पाया है। ना ही पूरा करना संभव है। 11 सितंबर को अग्निशमन अधिकारी द्वितीय पद के लिए गृह विभाग ने जो नियमावली जारी की। उसमें बताया गया कि पुरुष उम्मीदवारों को पीठ पर 65 किलो वजन उठाकर 900 मीटर की दौड़ महज एक मिनट में पूरी करनी होगी। हैरानी की बात यह है कि बिना वजन के भी 800 मीटर का विश्व रिकॉर्ड 1 मिनट 40.91 सेकंड का है। ये रिकॉर्ड केन्या के एथलीट डेविड रुदिशा ने 2012 ओलंपिक में बनाया था। ऐसे में सवाल है करि 65 किलो वजन के साथ इससे भी तेज दौड़ लगाना कैसे संभव है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दूसरे विभागों के लिए ये हैं मानक, गृह विभाग की सफाई
दूसरे विभागों जैसे सिविल पुलिस, इंटेलिजेंस, पीएसी, डिप्टी जेलर और आबकारी निरीक्षक के लिए जहाँ 5 किमी दौड़ 32 मिनट में पूरी करने का मानक तय है। सोशल मीडिया पर जब मामला वायरल हुआ तो तो गृह सचिव शैलेश बगौली ने स्पष्ट किया कि यह मानक टाइपिंग त्रुटि की वजह से दर्ज हुआ है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इसमें सुधार करते हुए नया आदेश जारी किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोशल मीडिया में कसे जा रहे हैं तंज
इस नियम को लेकर सोशल मीडिया पर लोग चुटकियां ले रहे हैं। कोई इसे ‘विश्व रिकॉर्ड वाली भर्ती’ बता रहा है तो कोई सरकार से नियम बदलने की मांग कर रहा है। आम राय यही है कि गृह विभाग को भर्ती मानकों में व्यावहारिकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। ताकि युवाओं के लिए यह प्रक्रिया न्यायपूर्ण और संभव हो सके। हालांकि, फिर से याद दिला दें कि ऐसा त्रुटिवश होना बताया जा रहा है। फिर भी लोग इस नियम को लेकर मजे ले रहे हैं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।