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March 11, 2025

आप भी खा सकते हो कांच, पर ऐसा करना मत, सिर्फ ज्ञान बढ़ाने के लिए पढ़ें तरीका

आपने जादूगर, मदारी या फिर किसी करतब दिखाने वाले को देखा होगा कि वह कांच के टुकड़े खाने लगता है। फिर पानी पी जाता है। आप सोचते हो कि उसने ऐसा किया तो सिर्फ आंखों का छलावा है। ये छलावा नहीं होता है, बल्कि सच्चाई है।

आपने जादूगर, मदारी या फिर किसी करतब दिखाने वाले को देखा होगा कि वह कांच के टुकड़े खाने लगता है। फिर पानी पी जाता है। आप सोचते हो कि उसने ऐसा किया तो सिर्फ आंखों का छलावा है। ये छलावा नहीं होता है, बल्कि सच्चाई है। इसके लिए वह ऐसी तकनीकी का प्रयोग करते हैं कि उन्हें नुकसान न हो। हम आपको इसकी विधि जरूर बताएंगे, लेकिन सलाह भी देंगे कि ऐसा न करें। क्योंकि कई बार ऐसा करने से नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में सिर्फ ज्ञान बढ़ाने और विज्ञान को समझने के लिए इससे संबंधित जानकारियों को पढ़ें।
आवश्यक सामग्री
इस खेल को दिखाने के लिए आपको एक फ्यूज कांच के बल्ब की जरूरत पड़ती है। साथ ही दो केले भी चाहिए। एक गिलास पानी और एक रूमाल भी इस प्रयोग को करने के लिए आवश्यक है।
खेल की विधि
सबसे पहले हम एक केला खा जाते हैं। अब कांच के बल्ब के टुकड़े को रूमाल में रखकर फोड़ लेते हैं। फिर कांच का छोटा टुकड़ा उठाकर हम सावधानी से मुंह में दाढ़ के बीच रखकर उसे धीरे-धीरे चबाते हैं। उसे तब तक चबाना चाहिए, जब तक वह बिलकुल बारीक पाउडर के रूप में न हो जाए। जब कांच का टुकड़ा महीन पाउडर बन जाए तो आधा गिलास पानी के साथ उसे निगल लेते हैं। इसके ऊपर दूसरा केला खा लेते हैं।

ये हैं तथ्य
जब हम कांच के टुकड़ों को पाउडर बनाकर निगल लेते हैं तो वह पूर्व में खाए गए केले में चिपक जाता है। दूसरा केला खूब चबाकर खाने से मुंह में रह गए कांच के टुकड़े उसमें चिपक जाते हैं। ऐसे में कांच के कण केले से चिपककर पेट में जाते हैं। इसके अतिरिक्त कांच का प्रमुख तत्व सिलिकेट अघुलनशील होता है, जो केले के गूदे की सहायता से बाहर निकल जाता है।
इन सावधानियों का रखना होता है ख्याल
कांच खाने से पहले और बाद में केला खाना जरूरी है। कांच का टुकड़ा छोटा होना चाहिए। कांच के टुकड़े को तब तक चबाना चाहिए, जब तक बारीक चूर्ण न बन जाए। कांच मरकरी युक्त बल्ब या ट्यूब लाइट का हरगिज नहीं होना चाहिए। बल्ब के अतिरिक्त अन्य कोई कांच नहीं खाना चाहिए। जब आप महसूस करें कि कांच के टुकड़े का कोई कण मुंह में चुभने की की स्थिति में नहीं है, तब ही उसे निगलना चाहिए। नोंक वाला कांच का टुकड़ा मुंह में नहीं रखना चाहिए।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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