Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

March 15, 2025

खाली कमंडल में आप भी पैदा कर सकते हैं भभूति, जानिए विधि

आप भी खाली कमंडल में हाथ डालकर भभूति पैदा कर सकते हैं। ये चमत्कार नहीं, बल्कि आपका निरंतर अभ्यास है। आप इस हाथ की सफाई से किसी को भी आश्चर्य में डाल सकते हैं।

आप भी खाली कमंडल में हाथ डालकर भभूति पैदा कर सकते हैं। ये चमत्कार नहीं, बल्कि आपका निरंतर अभ्यास है। आप इस हाथ की सफाई से किसी को भी आश्चर्य में डाल सकते हैं। इसके लिए आपको पहले तैयारी करनी होगी।
सामग्री और विधि
इसके एक कमंडल या एक खाली पात्र चाहिए। साथ ही भभूति की कुछ गोलियां, साधु का कुर्ता या कमीज, बारिक धागा, पतला कागज। सबसे पहले हम भभूति को पतले कागज की पुड़िया में रख लेते हैं। फिर पुड़िया में धागा बांध देते हैं। धागा ऐसे बांधते हैं कि यदि उसका दूसरा सिरा हम खींचे तो पुड़िया वहीं रहे और भभूति नीचे गिर जाए। पुड़िया को हाथ की बांह के नीचे छिपा देते हैं। धागे का एक सिरा लटका कर अपनी आस्तीन से कलई के पास तक पहुंचा देते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि यह सिरा अच्छी तरह से ढका कमीज से ढका हो।


फिर दर्शकों को खाली कमंडल दिखाते हैं। इसके बाद उस हाथ को कमंडल में डालते हैं, जिस पर हमने भभूति छिपाई है। मंत्र पढ़ने का उपक्रम करने के साथ ही सावधानी से धागा खींचते हैं। इस पर भभूति कमंडल में गिर जाएगी। जिसे हाथों से मसलकर पिस लेते हैं। साथ ही लोगों को चमत्कार दिखा सकते हैं।
तथ्य और सावधानियां
यह खेल बांह में छिपाकर रखी भभूति और भभूति कमंडल में गिराते वक्त सावधानी और दर्शकों के भ्रम पर आधारित है। धागे को ठीक से बांधे रखना चाहिए। ताकी भभूति कमंडल में गिरने से पहले बिखर न जाए। अच्छी तरह से इसका अभ्यास जरूरी है।

Website |  + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page