अक्षय तृतीया को यमुनोत्री और गंगोत्री के खुलेंगे कपाट, नए चिंतन की होगी शुरूआत, राष्ट्र के नेतृत्व पर होगी शंकाः डॉ. संतोष खंडूड़ी
इस बार अक्षय तृतीया में ऐसे ग्रह नक्षत्र बन रहे हैं, जिससे आमजनमानस के प्रभावशाली होने की उम्मीद है। साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व कमजोर होगा।
इस बार 14 मई से लेकर 15 मई तक अक्षय तृतीया है। इस दिन का महत्व उत्तराखंड के लिए इसलिए भी है कि यहां चारधाम के कपाट खुलने की शुरूआत हो जाती है। इस बार अक्षय तृतीया में ऐसे ग्रह नक्षत्र बन रहे हैं, जिससे आमजनमानस के प्रभावशाली होने की उम्मीद है। साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व कमजोर होगा। रोगों वृद्धि होगी और औषधी के क्षेत्र में नए आविष्कार होंगे। कुछ कारणों के चलते इस बार अक्षय तृतीय यूं ही समाप्त हो रहा है। यहां आपको इस त्योहार, चारधाम के साथ ही ग्रहों की स्थिति और उसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बता रहे हैं आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी।
खरीददारी का महत्व
अक्षय तृतीया का विशेष महत्व नष्ट न होने वाला कर्म, क्रिया, दान, धर्म, जप, तप, योग, सदविचार के रूप में जाना जाता है। अर्थात जो कभी नष्ट नहीं हो सकता है। यही अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विवाह का भी विशेष और श्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन को बिना देखे विचारे विवाह के लिए श्रेष्ठ पर्व के रूप में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन लोग अक्षय (जो कभी समाप्त न हो) होने वाली धातु को खरीदते हैं। अर्थात सोने, चांदी की धातुओं को खरीदने का विशेष दिवस है।
यूं ही समाप्त हो जाएगा खरीददारी का पर्व
एक ओर कोरोनाकाल में जहां सर्राफा की दुकाने बंद होने के कारण इस वर्ष यह अक्षय तृतीया बिना खरीददारी के यू ही समाप्त हो जाएगी। वहीं, इस दिन बाजार में करोड़ों का व्यापार आयात और निर्यात होता है। पूरे साल भर से लोग इस दिन का इंतजार करते हैं। सदकर्म, पुण्य, दान, जप, धन, दौलत वृद्धि कर्म के लिए इस दिन का इंतजार किया जाता है। इस बार कोरोनाकाल के चलते दुकानें बंद हैं। ऐसे में इस दिन खरीददारी का महत्व समाप्त हो रहा है।
अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं।
तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया।।
उद्दिष्य दैवतपितृक्रिंयते मनुष्यैः तत् च
अक्षयं भवति भारत सर्वमेव।।
ये पड़ेंगे प्रभाव
आचार्य बताते हैं कि ग्रह नक्षत्र की स्थिति ऐसी बन रही है कि आमजनमानस प्रभावशाली होगा साथ ही रोग की वृद्धि होगी। क्षति की पूर्ति नहीं हो पाएगी। धर्म मार्ग से भटकते हुए लोग दिखाई देंगे और धर्म की ओर रुझान कम दिखेगा। विज्ञान को लोग झूठलाएंगे। देश की सीमाओं पर विडंबना रह सकती है। राष्ट्र के नेतृत्व पर लोग शंकाएं जताएंगे। अनायास राजनीति, परिवारवाद तक सीमित रहेगी। खाने की वस्तु महंगी हो जाएंगी। यातायात पड़ेगा भारी। अत्यधिक जल वर्षा होगी भूकंप की संभावनाएं रहेंगी। सरकारों को सावधान रहने की जरूरत होगी। सहायता के लिए सरकार भी बढ़चढ़कर हिस्सा नहीं ले पाएंगी।
ये हैं कारण
मेष का सूर्य अक्षय तृतीय को 29 अंश पर रहेंगे। इससे नेतृत्व से उम्मीद निराशाजनक रहेगी। क्योंकि सूर्य बुढ़ापे की तरफ है। सूर्य ही नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है। जो कि आत्मा का कारक भी है। इसलिए आमजनमानस भी शक्तिहीन महसूस करेंगे। या कितना बलवान व्यक्ति भी खुद को शक्तिहीन महसूस करेगा। यहीं दूसरी तरफ वृष का शुक्र और साथ में बुध और राहु के होने पर शुक्र 12 अंश, बुध 21 अंश, राहु 17 अंश पर रहेगा। यह देखते हुए कि आमजनमानस को केवल दवाइयों को निर्भर रहना पड़ेगा। इस समय ग्रहों की स्थिति के हिसाब से दवा ही एकमात्र सहारा होगी। राहु के साथ में होने पर यहीं दवाई के व्यापार में बड़ा छल कपट किया जाएगा। छलकपट की राजनीति की जाएगी। आमजनमानस की आवश्यकता को समझते हुए इस समय मनुष्य के देह का ही व्यापार किया जाएगा।
प्रशासकों से सुधार की उम्मीद
वर्तमान गृह स्थिति के आधार पर शनि, शुक्र स्वग्रही श्रेष्ठ और उत्तम न्याय करते हैं। इसमें शुक्र औषधी का कारक है। निश्चित ही नई नई औषधियों का अविष्कार मानव जाति के लिए श्रेष्ठ होगा। शुक्र नई नई औषधियों को जन्म देगा। यह आविष्कार बहुत जल्द दिखाई देगा। मेष का सूर्य उच्च का होने पर प्रशासक मजबूत बनेगा। ग्रहों की स्थिति को देखकर सुदृढ़ प्रशासक राष्ट्र को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया को खुलेंगे युमनोत्री और गंगोत्री के कपाट
पूर्व वर्षों में अक्षय तृतीया एक दिन ही होने से एक ही दिन खुलते थे यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट। अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष 14 मई को अपराह्न 12 बजकर 15 मिनट पर खोले जाएंगे यमुनोत्री के द्वार। उसी क्रम में 15 मई प्रातः सात बजकर 31 मिनट पर मां गंगा के द्वार खुलेंगे। 14 मई को अक्षय तृतीय पर सुबह सवा नौ बजे यमुनाजी की डोली खरसाली ये यमुनोत्री की ओर चलकर यमुनोत्री पहुंचेगी। तब कर्क लग्न अभिजित मुहूर्त पर विशेष पूजा अर्चना के साथ कपाट खोले जाएंगे। मां यमुनाजी की डोली को विदा करने के लिए उनके भाई शनिदेव की डोली भी यमुनोत्री धाम जाएगी।
सुबह 14 मई 11 बजकर 45 मिनट पर पूजा अर्चना के बाद गंगा मां की भोग मूर्ति डोली की यात्रा मुखवा से गंगोत्री के लिए प्रस्थान की जाएगी। जो कि शाम को भैरव घाटी के आनंद भैरव मंदिर में विश्राम कर अगले दिन 15 मई को गंगोत्री को प्रस्थान करेगी और प्रातः मिथुन लग्न और मृगशिरा नक्षत्र पर विशेष पूजा अर्चना के साथ मां गंगोत्री के द्वार खोले जाएंगे। मां अक्षय तृतीया का यह शुभ मुहूर्त बैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को विशेष दिन के रूप में मनाया जाता है। इसका शुभ समय इस वर्ष 14 मई 2021 शुक्रवार को सुबह पांच बजकर 38 मिनट से 15 मई को शनिवार के दिन सुबह सात बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
बाबा केदारनाथ के कपाट
14 मई को बाबा केदार की पंचमुखी डोली, जिसे उत्सव डोली के रूप में जाना जाता है, वह ओंकारेश्वर उखीमठ से विशेष शुभ मुहूर्त पर प्रस्थान करेगी और रात्रि गौरीकुंड में प्रवास करेगी। 15 मई को केदारनाथ की उत्सव डोली बाबा केदार पहुंचेगी। दो दिन केदारनाथ में विश्राम करने के बाद 17 मई को प्रातः ब्रह्ममुहूर्त पर विशेष पूजा अर्चना के साथ सुबह पांच बजे बाबा केदारनाथ के कपाट खोले जाएंगे। इसमें उत्तराखंड सरकार व जिला प्रशासन, चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सदस्य, हकहकूकधारी, तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज उपस्थित रहेंगे।
बदरी विशाल के कपाट
बदरीनाथ की विशेष डोली पांडुकेश्वर से 17 मई को विशेष मुहूर्त पर चलकर बदरीनाथ धाम पहुंचेगी और 18 मई को प्रातः विशेष पूजा अर्चना के साथ चार बजकर 15 मिनट पर नर पूजा के लिए भगवान बदरीनाथ कपाट खोले जाएंगे। इससे पूर्व छह माह शीतकालीन पूजा अर्चना स्वयं नारदजी व देवी देवताओं के द्वारा की जाती है।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।