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September 17, 2024

वाह री उत्तराखंड सरकार, दिल्ली की पत्रिका पर लुटाया खजाना, 700 पोर्टलों को हो सकता था भला, कांग्रेस ने किया हमला

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वाह री उत्तराखंड सरकार। खाने को दाने नहीं, अम्मा चली चने भुनाने। कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के लिए बाजार से बार बार कर्ज उठाना पड़ रहा है। वहीं, दिल्ली की ऐसी पत्रिका पर सरकारी खजाना लुटा दिया, जिसका शायद ही कोई नाम जानता हो।

वाह री उत्तराखंड सरकार। खाने को दाने नहीं, अम्मा चली चने भुनाने। कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के लिए बाजार से बार बार कर्ज उठाना पड़ रहा है। वहीं, दिल्ली की ऐसी पत्रिका पर सरकारी खजाना लुटा दिया, जिसका शायद ही कोई नाम जानता हो। इस पत्रिका को 71 लाख रुपये विज्ञापन के तौर पर भुगतान किया गया है। यदि दस हजार रुपये के हिसाब से भी विज्ञापन उत्तराखंड की पत्रिकाओं और पोर्टलों को दिया जाता तो 700 से ज्यादा लोगों का भला हो सकता था। वहीं, सरकार ने एक ही पत्रिकार को 71 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया है। अब इस मामले में कांग्रेस ने सरकार पर हमला किया। साथ ही इसे विज्ञापन घोटाला बताया है।
उत्तराखंड में सरकार ने ऐसे लोगों की तरफ भी ध्यान नहीं दिया, जो लगातार सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं। सरकार के हर कार्यों को ऐसे पेश करते रहे, जैसे कि पहली बार हो रहा है। ना जाने कितने बार वे सरकार के माध्यम से उत्तराखंड के लोगों को खबरों में सौगात दे चुके हैं, पर जब देने का नंबर आया तो सरकार ने उन्हें भी ठेंगा दिखा दिया। सरकार पर विज्ञापन घोटाले के आरोप उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष व सलाहकार सुरेंद कुमार ने लगाए।
उन्होंने धामी सरकार पर विज्ञापन घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां प्रदेश के श्रमजीवी पत्रकार राज्य सरकार से छोटे छोटे विज्ञापनों के लिए गुहार लागतें हों, वही एक अनजान पत्रिका जिसका वजूद भी संदेह में है, उसे सत्तर लाख से भी अधिक का विज्ञापन दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसे विज्ञापन घोटाला ही कहा जाएगा। इस संबंध में सुरेंद्र कुमार ने विज्ञापन भुगतान की रसीद भी मीडिया में जारी की। इसमें दिल्ली की खबर मानक पत्रिका को 71 लाख, 99 हजार 992 रुपये 80 पैसे का भुगतान दर्शाया गया है। 80 पैसे भी समझ से परे हैं, जैसे बाटा कंपनी का जूता खरीदा जा रहा हो और 80 पैसा उसका ट्रेड मार्का हो।

कांग्रेस नेता सुरेंद्र कुमार के मुताबिक, बेहतर होता थोड़ा थोड़ा धन राज्य के कलम के सिपाहियों को बाटा जाता। उससे कई कलम वीरों का भला होता। उन्होंने कहा कि इस विज्ञापन घोटाले के तार भाजापा नेताओं से भी जुड़ें हैं। चुनाव के लिए धन जुटाने के लिए इस तरह का कुचक्र रचा गया है। ऐसी पत्रिका जिसे आज तक कोई नहीं जानता। ना कभी उत्तराखंड की जनता से इस पत्रिका को देखा, उसे सत्तर लाख से अधिक का विज्ञापन जारी होना कई सवाल पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि-ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा, ऐसा कहने वाले चौकीदार की छत्रछाया में ही इस तरह के घोटाले हो रहे हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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