वाह रे उत्तराखंड सरकार, पीआरडी जवानों ने मांगी तीन माह की पगार, 62 जवानों को कर दिया बाहर, धस्माना ने सीएम को लिखा पत्र
नेताओं के हर भाषण में उत्तराखंड में इस तरह विकास हो रहा है, जिस तरह अन्य बीजेपी शासित राज्यों में हो रहा है। यानि कि हर राज्य के सीएम केंद्र से लिखी गई स्क्रिप्ट पढ़ते हैं कि वर्ष 2025 में हमारा राज्य पीएम के नेतृत्व में सबसे अग्रणीय राज्य होगा। अब उत्तराखंड राज्य को ही देख लो। पीआरडी जवानों को तीन माह से पगार नहीं मिली। कुछ जवानों ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई। वे उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना से मिले। धस्माना ने आला अधिकारियों से वार्ता की। अब पता चला है कि इन सभी 62 जवानों को वेतन देने की बजाय सेवा से ही बेदखल कर दिया गया है।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धस्माना ने बताया कि पिछले दो वर्षों से पीआरडी के माध्यम से पूरे कोविड कॉल में एसडीआरएफ में सेवा देने वाले 62 पीआरडी जवानों को तीन महीनों से वेतन नहीं मिल रहा था। इसके लिए उन्हें युवा कल्याण, जिलाधिकारी कार्यालय व सचिवालय के कई बार चक्कर लगाने के बाद भी सफलता नहीं मिली। इस पर कल वे उनके पास मदद मांगने गए पहुंचे। इस पर धस्माना ने युवा कल्याण, जिलाधिकारी देहरादून, एसडीआरएफ के कमांडेंट मणि कांत मिश्रा व युवा कल्याण के अपर सचिव अभिनव कुमार से वार्ता कर पूरे प्रकरण की जानकारी ली।
तब ये बात सामने आई कि इन 62 पीआरडी जवानों के एसडीआरएफ में ड्यूटी की स्वीकृति विस्तार शाशन से लिया ही नहीं गया है। इनको पीआरडी की ओर से बार बार यह आश्वासन दिया जाता रहा कि जल्दी ही वेतन भुगतान कर दिया जाएगा। धस्माना ने जब अपर सचिव से पूरे प्रकरण पर चर्चा की। तब जा कर मामले की पोल खुली। उसका नतीजा यह हुआ कि कल ही देर शाम एसडीआरएफ कार्यालय से इन 62 पीआरडी जवानों की छुट्टी कर दी गयी।
इस पूरे प्रकरण पर आज प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख कर इस प्रकरण का संज्ञान ले कर इन 62 पीआरडी जवानों के तीन महीने का वेतन जारी करने व इनकी ड्यूटी बहाली की मांग की। धस्माना ने मुख्यमंत्री से कहा कि एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार देश और प्रदेश के युवाओं को अग्निपथ योजना के माध्यम से सेना की अल्प काल की सेवा में जाने और 4 साल बाद सेवा निवृत के बाद पुनः राज्य के अनेक विभागों में पुनः सेवा देने का वादा कर सपने दिखाने का काम कर रही है। दूसरी ओर पहले से ही उपनल और पीआरडी जैसी राज्य पोषित एजेंसियों के माध्यम से सेवा दे रहे युवाओं को तीन तीन महीने तक वेतन नहीं दे रहे। वेतन की मांग करने पर उनको डयूटी मुक्त कर रहे हैं, जो सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगा रही है। सूर्यकांत धस्माना ने मुख्यमंत्री से राज्य में कार्यरत सभी आउट सौरसिंग एजेंसियों के कार्मिकों के लिए एक नियमावली तैयार करने की मांग की। जिससे आउट सोर्स से रोजगार पाने वाले कार्मिक का उत्पीड़न बंद हो।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।