आज से शुरू हो गए शारदीय नवरात्र, ऐसे करें घट स्थापना, बाधाएं दूर करने को करें ये उपाय
आज यानी 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गए हैं। घर-घर मां दुर्गा की चौकी सजाई जाएगी। 25 अक्टूबर तक मां का पूजन-अर्चन और व्रत किए जाएंगे। ये नौ दिन मां भगवती को बेहद प्रिय हैं। इस समय मां अपने भक्तों की सभी मुराद पूरी करती हैं। नवरात्रि के दिन बहुत शुभ माने जाते हैं। इस समय हर तरफ एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। नवरात्रि के दिनों में मां को प्रसन्न करके अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। यहां डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने बता रहे हैं कि कैसे घट स्थापना की जाए और क्या उपाय किए जाएं।
घट स्थापना
सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें, जिसमें कलश रखने के बाद भी आसपास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए। पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं।
अब इस पर जल का छिड़काव करें। कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनाएं। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगाजल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र, पंचरत्न तथा सिक्का डालें।
अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें। इस प्रकार लगाएं। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढक्कन लगा दें। इस ढक्कन में अक्षत यानी साबुत चावल भर दें। नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुंह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते हैं। पूर्व की ओर हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते हैं। नारियल का मुंह वह होता है, जहां से वह पेड़ से जुड़ा होता है।
अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किए गए पात्र के बीच में रख दें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि- ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’ आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित करें।
सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को करें ऐसा
नवरात्रि के दिनों में पान के पत्ते पर केसर रखें। उसके बाद मां के समक्ष दुर्गा स्तोत्र एवं दुर्गा जी नामावली का पाठ पूरी निष्ठा के साथ करें इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। जिससे आपके घर की सारी परेशानियां और क्लेश दूर हो जाएंगे। ये उपाय आपको पूरे नौं दिनों तक नियमपूर्वक करना है।
ऐसे दूर होगी धन की समस्या
अगर धन संबंधित समस्याएं आपका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। आपकी आर्थिक स्थिति खराब है, तो नवरात्रि के पहले दिन से लेकर अगले पांच दिनों तक प्रतिदिन पान के पत्ते पर ”ह्रीं” लिखकर मां दुर्गा को चढ़ाएं। नवरात्रि के समापन के बाद उन पत्तों को अपनी तिजोरी या फिर जहां धन रखते हैं, उस स्थान पर संभाल कर रख दें। इस उपाय को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से धन संबंधित कैसी भी समस्याएं हो दूर हो जाती हैं।
बाधा दूर करने को करें ऐसा
नवरात्रि में एक पान का पत्ता लेकर उसके दोनों ओर सरसों का तेल लगाकर माता दुर्गा को अर्पित करें। इस पत्ते को रात के समय अपने सिरहाने रखकर सो जाएं। प्रातःकाल के समय उठकर इस पत्ते को किसी दुर्गा मंदिर के पीछे रखकर आ जाएं। इससे नौकरी और व्यापार में तरक्की के योग बनते हैं। कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं।
पूजा-पाठ के लिए ये है सबसे श्रेष्ठ समय
पूजा-पाठ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। नवरात्रि के दिनों में भी ब्रह्म मुहूर्त में (4 से 6) बजे को मध्य पूजा करनी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मां भुवनेश्वरी और सौभाग्यसुंदरी का ध्यान करते हुआ पान के पत्ते की जड़ को किसी पत्थर पर घिसकर उससे मां का तिलक करें। यह उपाय नियमित रुप से वाणी में सौम्यता आती है। सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है।
सुख समृद्धि के लिए करें ये कामना
अगर आपके घर में धन की आवक रुक सी गई है तो नवरात्रि में मां दुर्गा को पान के पत्ते पर गुलाब रखकर अर्पित करें और मां से सुख-समृद्धि की कामना करें। इससे घर में धन की आवक सुचारु होगी।
घटस्थापना का मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर की रात 1 बजे से प्रारंभ हो गई। वहीं, प्रतिपदा तिथि 17 अक्टूबर की रात 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक का है। अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।