उत्तराखंड में आशा वर्कर्स का कार्य बहिष्कार जारी, दिए गए धरने, गाए गए जनगीत, कल फूकेंगी पुतला
इस अवसर पर यूनियन की प्रान्तीय अध्यक्ष शिवा दुबे ने आशाओ को बताया कि उनकी स्वास्थ्य महानिदेशक से वार्ता हुई। इसमें उन्होंने सरकार को हमारी मांगों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट भेजने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर जनगीत भी गए गए। साथ ही तय किया गया कि आशाएं कल दिनांक 9 अगस्त 21 को प्रदेश के सभी जिलों में सीएमओ कार्यालयों और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य विभाग के विरोध स्वरूप पुतले फूंकेंगी।
धरने में ये रहीं शामिल
देहरादून में यूनियन की जिला अध्यक्ष सुनीता चौहान, कलावती चन्दोला ने भी धरने को सम्बोधित किया। धरने पर नीरज यादव, नीरा कंडारी, सुनीता पाल, रोशनी राणा, अनिता, पुलमा देवी, अनारी, मनप्रीत, लतापाल, चन्देश्वरी, धर्मिष्ठा, पूजा रावत, बबिता, नीलम, गोमती, रमा, अनिता भट्ट, प्रमिला राणा आदि उपस्थित थीं। देहरादून में धरना रायपुर, प्रेमनगर, बालावाला, सहसपुर, डोईवाला, विकासनगर, चकराता, त्यूणी आदि स्थानों पर प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर जारी रहा।
ये हैं मांगे
आशाओं को सरकारी सेवक का दर्जा दिया जाऐ, न्यूनतम वेतन 21हजार प्रतिमाह हो, वेतन निर्धारण से पहले स्कीम वर्कर की तरह मानदेय दिया जाए, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा हो, कोविड कार्य में लगी सभी आशाओं को भत्ता दिया जाए, कोविड कार्य में लगी आशाओं 50 लाख का बीमा, 19 लाख स्वास्थ्य बीमा का लाभ, कोरनाकाल में मृतक आशाओं के परिवारों को 50 लाख का मुआवजा, चार लाख की अनुग्रह राशि दी जाए। ओड़ीसा की तरह ऐसी श्रेणी के मृतकों के परिवारों विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में नियम बनाए जाएं, न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा दिया जाए, सभी स्तर पर कमीशन खोरी पर रोक, अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति हो, आशाओं के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए, कोरना ड्यूटी के लिये विशेष मासिक भत्ते का प्रावधान हो।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।